कैसे हुई IIT की शुरुआत?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सर आर्देशिर दलाल का मानना था कि भारत की प्रगति आने वाली टेक्नोलॉजी पर निर्भर करती है। इसके लिए उन्होंने एक ऐसे इंस्टीट्यूट की कल्पना की जसमें टेक्नोलॉजी के बारे में पढाया जाए। भारत में IIT का पहला कैंपस बंगाल के खड़गपुर में खुला था। इस इंस्टीट्यूट को हिजलीपुर जेल बिल्डिंग में खोला गया था। नलिनी रंजन समिति ने सिफारिश की कि भारत को चार अलग-अलग geography में बांटा जाए और इसमें चार टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की स्थापना की जाए। इस समिति ने Massachusetts Institute of Technology को आधार मानते हुए IIT का निर्माण किया।
1950 में रखी गई थी पहली नींव
Massachusetts Institute of Technology की आधार पर तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने बंगाल के मुख्यमंत्री बीसी राय के सुझाव पर इसकी नींव 1950 में खड़गपुर में रखी। एक साल बाद ही इसकी शुरुआत हुई और फिर संसद में आईआईटी खड़गपुर एक्ट पास किया गया। जब 1956 में इसके पहले दीक्षांत समारोह में तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू गए तो उन्होंने कहा कि ये शिक्षा का संस्थान भारत का भविष्य बनेगा।
आईआईटी खड़गपुर के बाद इन इंस्टीट्यूट की हुई शुरुआत
आईआईटी खड़गपुर के बाद 1958 में मुंबई, 1959 में मद्रास और कानपुर आईआईटी कैंपस खोले गए। 1961 में दिल्ली के कैंपस की शुरुआत हुई। आज के समय में भारत में IIT की संख्या 23 हो चुकी है। IIT का सबसे बड़ा कैंपस खड़गपुर है जो 2100 एकड़ में फैला हुआ है।
क्यों है IIT की इतनी ज्यादा डिमांड?
IIT में क्वालिटी एजुकेशन दी जाती है। इस इंस्टीट्यूट में बेस्ट प्रोफेसर द्वारा पढाया जाता है। साथ ही इसकी परीक्षा बहुत कठिन होती जिसमें कुछ बच्चे का ही सिलेक्शन होता है। इसकी सबसे ज्यादा डिमांड इसके प्लेसमेंट के कारण होती है। आपको बता दें कि IIT का एवरेज पैकेज ही 20 लाख पर एनम से ज्यादा होता है। साथ ही कुछ स्टूडेंट का यहां 1 करोड़ या उससे अधिक का भी पैकेज लगा है।