दरअसल, 25 किलोमीटर दूर से भारत का चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग की शुरुआत करेगा। इसकी शुरुआत 23 अगस्त को 5.45 बजे से शुरू होगी। 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडर विक्रम चांद की सतह को छू लेगा। ऐसे में आखिरी के 19 मिनट इसके लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे।
सॉफ्ट-लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया स्वायत्त होगी, जिसके तहत लैंडर को अपने इंजन को सही समय और उचित ऊंचाई पर चालू करना होगा, उसे सही मात्रा में ईंधन का उपयोग करना होगा और अंततः नीचे उतरने से पहले यह पता लगाना होगा कि किसी प्रकार की बाधा या पहाड़ी क्षेत्र या गड्ढा नहीं हो।
इसरो प्रमुख सोमनाथ के अनुसार, चांद पर लैंडिंग का स्थान इसरो कमांड सेंटर नहीं बल्कि लैंडर विक्रम ही अपने कंप्यूटर से करेगा। लैंडिंग शुरू होते समय गति 6,048 किमी प्रति घंटा होगी जबकि चांद को छूते समय गति मात्र 10 किमी प्रति घंटा ही रह जाएगी।
लैंडिंग 4 चरणों में होगी। पहले चरण में लैंडर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से डिऑर्बिटिंग प्रक्रिया शुरू करेगा। दूसरे चरण में यह चंद्रमा की सतह से 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा। इसे एटीट्यूज होल्ड फेज कहा गया है। तीसरे चरण को फ्राइन ब्रेकिंग फेज कहा गया है। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि जहां लैंडिंग होगी वहां गड्डे तो नहीं है। चौथे चरण में फ्रीफॉल होगा।