छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा

Webdunia
गुरुवार, 16 नवंबर 2023 (12:31 IST)
Chhath Maiya Katha : 17 नवंबर को छठ पूजा का महापर्व प्रारंभ हो गया है। 19 नवंबर 2023 को मुख्य पर्व रहेगा। 20 नवंबर को व्रत का पारण होगा। छठ पर्व के 4 दिनों के महोत्सव में व्रत रखकर षष्ठी देवी यानी छठ मैया और सूर्य देव की उपासना की जाती है। इस दौरान छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है। आओ जानते हैं छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा।
 
कौन है छठ मैया : शास्त्रों में माता षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है। इन्हें ही मां कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि के दिन होती है। षष्ठी देवी मां को ही पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में स्थानीय भाषा में छठ मैया कहते हैं। छठी माता की पूजा का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इन्हें सूर्यदेव की बहन भी माना गया है।
 
क्यों करते हैं छठ माता की पूजा : छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपनी संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का वर मांगाने के लिए करती हैं। मान्यता अनुसार इस दिन निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं छठ मैया।
 
छठ पूजा की पौराणिक कथा :-1
छठ पूजा की पौराणिक कथा :-2
 
छठ पूजा की पौराणिक कथा :-3
  1. पौराणिक शास्त्रों में छठ की कथा को देवी द्रोपदी से जोड़कर भी देखा जाता है।
  2. मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था। 
  3. द्रोपदी के व्रत के फल से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था।
  4. द्रोपदी अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।
 
छठ पूजा की पौराणिक कथा :-4
 
एडिटेड बाय अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख