Chhath Puja 2021 : 4 दिन चलने वाले इस पर्व में सूर्यदेव और छठी माता की पूजा होती है। खराने के भोजन को ग्रहण करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। षष्ठी के अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर सप्तमी के उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण किया जाता है। आओ जानते हैं कि सांध्य अर्घ्य की परंपरा।
11 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय : प्रात: 06:41.
संध्या अर्घ्य ( Chhath puja sandhya arghya 2021 ) :
4. छठ पूजा की सामग्री में नए वस्त्र, बांस की दो बड़ी टोकरी या सूप, थाली, पत्ते लगे गन्ने, बांस या फिर पीतल के सूप, दूध, जल, गिलास, चावल, सिंदूर, दीपक, धूप, लोटा, पानी वाला नारियल, अदरक का हरा पौधा, नाशपाती, शकरकंदी, हल्दी, मूली, मीठा नींबू, शरीफा, केला, कुमकुम, चंदन, सुथनी, पान, सुपारी, शहद, अगरबत्ती, धूप बत्ती, कपूर, मिठाई, गुड़, चावल का आटा, गेहूं।
5. अर्घ्य देने के लिए बांस की 3 बड़ी टोकरी या पीतल का सूप लें, जिसमें चावल, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी, शकरकंदी, नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई, चंदन, ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू आदि सभी सजा लें। साथ में थाली, दूध और गिलास ले लें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद टोकरी में रखें और एक दीपक भी जला लें। इसके बाद नदी में उतरकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें।
6. इसी दौरान सूर्य को जल एवं दूध चढ़ाकर प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा भी की जाती है। शाम को बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और कुछ फल रखें जाते हैं और पूजा का सूप सजाया जाता है और तब सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।