वर्ष 2021 में रविवार को मोरियाई छठ मनाई जाएगी। इसे मौरयाई छठ, सूर्य षष्ठी व्रत भी कहते हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति दिलाने वाला और संतान के जीवन को खुशहाल बनाने वाला माना गया है। आदिशक्ति त्रिपुरा सुंदरी मां ललिता सभी दस महाविद्याओं में से एक हैं। पुराणों के अनुसार मां की 2 भुजाएं हैं, वे गौर वर्ण और कमल पर विराजमान है। इनकी उपासना भाद्रपद शुक्ल षष्ठी तिथि को की जाती है।
प्रातःकाल स्नान के बाद मां का श्रृंगार कर विधिवत पूजन करना चाहिए। मां ललिता के साथ भगवान शिव, गौरा पार्वती, भगवान शालिग्राम और कार्तिकेय की भी इस दिन आराधना की जाती है। यह व्रत नेत्र रोग से तथा कुष्ठ रोग से मुक्ति दिलाता है।
कैसे करें पूजन-
1. मोरयाई छठ के दिन पूजन करने से पहले से भगवान शालिग्राम जी का विग्रह, कार्तिकेय का चित्र, शिव-गौरी की मूर्तियों सहित तांबे का लोटा, नारियल, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, मौसमी फल, मेवा, मौली, आसन आदि सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
2. सबसे पहले दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. घर के ईशान कोण में पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठकर पूजन करें।
4. ललिता षष्ठी व्रत के दिन षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करें।
5. मां ललिता के साथ स्कंदमाता और शिव जी की पूजा करें।
6. इस दिन कई जगहों पर विष्णु जी, शिव जी और गौरी पार्वती का चंदन से पूजा का भी चलन है।
7. पूजन के दौरान मंत्र- 'ॐ ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा' से षष्ठी देवी का पूजन करें।
8. पूजन के बाद मालपुआ, खीर एवं मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।
अंत में माता का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें।