ईसाई समुदाय का प्रमुख पर्व ईस्टर

- डॉ. केपी पोथन
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ईसाई धर्म में मुख्यतः दो पर्व हैं, क्रिसमस और ईस्टर। दोनों में से सबसे महत्वपूर्ण ईस्टर है, अर्थात ख्रीस्त का जी उठना। गुड फ्राइडे कोई पर्व नहीं, परंतु एक दुःख का अवसर है। क्रिसमस के दिन यीशु ख्रीस्त का जन्म हुआ, गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु की मृत्यु (शुभ शुक्रवार) और ईस्टर के दिन (तीसरे दिन रविवार) प्रभु यीशु जी उठे। सभी मनुष्य मृत्युमय हैं अर्थात कोई भी प्राणी मृत्यु से बच नहीं सकता। यह एक अनोखी घटना है कि प्रभु ईसा मसीह मृत्यु के बाद फिर से जी उठे।

बाइबल के चारों सुसमाचारों में ईस्टर का वर्णन दिया गया है। यूहन्ना ने इस संदर्भ में निम्नलिखित बातें लिखीं। सप्ताह के पहले दिन (रविवार) मरियम मगदलीनी भोर को अँधेरा रहते ही कब्र पर आई और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा।

तब वह दौड़ी और शमौन पतरस और उस दूसरे चेले के पास जिससे यीशु प्रेम रखते थे आकर कहा- वे प्रभु को कब्र में से निकाल ले गए हैं और हम नहीं जानते कि उसे कहाँ रख दिया है। तब पतरस और वह दूसरा चेला निकलकर कब्र की ओर चले और दोनों साथ-साथ दौड़ रहे थे, परंतु दूसरा चेला पतरस से आगे बढ़कर कब्र पर पहले पहुँचा और झुककर कपड़े पड़े देखे, तो भी वह भीतर न गया।

तब शमौन पतरस उसके पीछे-पीछे पहुँचा और कब्र के भीतर गया और कपड़े पड़े देखे और वह अंगोछा जो उसके सिर से बँधा हुआ था, कपड़ों के साथ पड़ा हुआ नहीं, परंतु अलग एक जगह लपेटा हुआ देखा। तब दूसरा चेला भी जो कब्र पर पहले पहुँचा था, भीतर गया और देखकर विश्वास किया।

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वे तो अब तक पवित्र शास्त्र की वह बात न समझते थे कि उसे मरे हुओं में से जी उठना होगा। तब ये चेले अपने घर लौट गए, परंतु मरियम रोती हुईं कब्र के पास ही खड़ी रहीं और रोते-रोते कब्र की ओर झुककर, दो स्वर्गदूतों को उज्ज्वल कपड़े पहने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहाँ यीशु की लोथ पड़ी थी।

उन्होंने उससे कहा- हे नारी, तू क्यों रोती है? उसने उनसे कहा- वे मेरे प्रभु को उठा ले गए और मैं नहीं जानती कि उसे कहाँ रखा है। यह कहकर वह पीछे फिरी और यीशु को खड़े देखा और न पहचाना कि यह यीशु है।

यीशु ने उससे कहा- हे नारी, तू क्यों रोती है? किसको ढूँढती है?

उसने माली समझकर उससे कहा- हे महाराज, यदि तूने उसे उठा लिया है तो मुझसे कह कि उसे कहाँ रखा है और मैं उसे ले जाऊँगी। यीशु ने उससे कहा- मरियम! उसने पीछे फिरकर उससे इब्रानी में कहा- रब्बूनी अर्थात हे गुरु। यीशु ने उससे कहा- मुझे मत छू, क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया, परंतु मेरे भाइयों के पास जाकर उनसे कह दो कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूँ।

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मरियम मगदलीनी ने जाकर चेलों को बताया कि मैंने प्रभु को देखा और उसने मुझसे ये बातें कहीं। उसी दिन जो सप्ताह का पहला दिन था, संध्या के समय जब वहाँ के द्वार जहाँ चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बंद थे तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उनसे कहा- तुम्हें शांति मिले और यह कहकर उसने अपना हाथ और अपना पंजर उनको दिखाए, तब चेले प्रभु को देखकर आनंदित हुए।

यीशु ने फिर उनसे कहा- तुम्हें शांति मिले, जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ। यह कहकर उसने उन पर फूँका और उनसे कहा- पवित्र आत्मा लो। जिनके पाप तुम क्षमा करो वे उनके लिए क्षमा किए गए हैं। जिनके तुम रखो, वे रखे गए हैं। जी उठने के पश्चात प्रभु यीशु चालीस दिन तक अपने भक्तजनों के सामने प्रकट हुए और स्पष्ट रूप से बताया कि वे सचमुच में जीवित हैं।

चालीस दिन के बाद प्रभु यीशु ने स्वर्गारोहण किया। उस समय उन्होंने शिष्यों को बताया कि 'यही यीशु जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुमने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।' (प्रेरितों के काम पहला अध्याय ग्यारहवाँ वाक्य)।

यीशु मसीही उनके दूतों के साथ फिर से इस जगत पर आने वाले हैं और वे अपने अनंतकाल के राज्य को स्थापित करेंगे। मसीही धर्म और समुदाय का नींव पत्थर यीशु का दूसरा आगमन है।

यीशु ने कहा- देख मैं शीघ्र आने वाला हूँ और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिए प्रतिफल मेरे पास है। (प्रकाशित वाक्य बाईस, 12)

सभी को ईस्टर की हार्दिक बधाई।

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