कई शोधकर्ता मानते हैं कि ईसाई धर्म को स्थापित करने में सेंट पॉल का नाम सबसे पहले लिया जाता है। यह भी कहा जाता है कि क्रिश्चियन कल्ट ज्यूस डायसपोरा में प्रारंभ हुआ था। यह क्रिश्चियन डायसपोरा रोम, एथेंस और अलेक्जेंड्रिया में था। यहां ग्रीक बोली जाती थी और सारे गॉस्पेल ग्रीक में ही मिलते हैं। हिब्रू में गॉस्पेल थे या नहीं यह एक शोध का विषय है। गॉस्पेल ऑफ जॉन की चर्चा ज्यादा होती है।
1. बाइबिल को कब लिखा गया इस संबंध में मतभेद हैं परंतु 23 अगस्त 1456 में जर्मन वैज्ञानिक योहानेस गुटेनबर्ग द्वारा जर्मनी माइंस शहर में आधुनिक ढंग से बाइबिल को छापा गया था। इसीलिए इस बाइबिल को गुटेनबर्ग बाइबिल कहते हैं। यह आधुनिक ढंग के छापाखाने से मुद्रित होने वाली दुनिया की पहली बाइबिल थी।
2. कहते हैं कि गुटेनबर्ग ने 380 में ईस्वी में एक लैटिन अनुवाद से यह बाइबिल सफेद कागज पर काले अक्षरों में छापी थी।
3. इस बाइबिल में 42 पंक्तियां थीं इसीलिए इसे मजारिन या B42 बाइबिल भी कहा जाता है।
4. इसकी करीब 300 सौ प्रतियां छापकर यूरोप के पेरिस सहित विभिन्न शहरों में भेजी गई थी।
5. 1847 ईस्वी में अमेरिकी जेम्स लेनक्स ने बाइबिल की पहली प्रति खरीदी थी जो अब न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी में रखी हुई है।
6. गुटेनबर्ग के द्वारा बनाई गई प्रेस विश्व की पहली प्रिंटिंग प्रेस थी जिसका आविष्कार 1448 में हुआ था।
7. कहते हैं कि गुटेनबर्ग प्रेस द्वारा सबसे पहले बाइबिल ही छापी गई थी जिसकी 180 प्रतियां छापने में 3 वर्ष लग गए थे।
8. कई लोग मानते हैं कि यह बाइबिल अपूर्ण है और कुछ मानते हैं कि प्राचीन बाइबिल हिब्रू भाषा में लिखी गई थी। हालांकि वर्तमान में ग्रीक में अलग, लेटिन में अलग और हिब्रू में अलग बाइबल उपलब्ध है।
9. बाइबिल के 2 भाग हैं- पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामेंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल में यहूदियों के धर्मग्रंथ तनख को ही पूर्वविधान के तौर पर शामिल किया गया। पूर्वविधान को तालमुद और तोरा भी कहते हैं। इसका मतलब 'पुराना अहदनामा'। हलांकि यह भी कहा जाता है कि यह पूर्वविधान वैसा नहीं है जैसा की यहूदियों के पास है।
10. नवविधान (न्यू टेस्टामेंट) ईसा मसीह के बाद की रचना है जिसे ईसा मसीह के शिष्यों ने लिखा था। इसमें ईसा मसीह का जीवन परिचय और उनके उपदेशों का वर्णन है। इसके अलावा शिष्यों के कार्य लिखे गए हैं। माना जाता है कि इसकी मूलभाषा अरामी और ग्रीक थी। नवविधान में ईसा के संदेश और जीवनी का उनके 4 शिष्यों द्वारा वर्णन किया गया है। ये 4 शिष्य हैं- मत्ती, लूका, युहन्ना और मरकुस। हालांकि उनके कुल 12 शिष्य थे। इसमें खासतौर पर 4 शुभ संदेश हैं, जो ईसा के 4 अनुयायियों- मत्ती, लूका, युहन्ना और मरकुस द्वारा वर्णित हैं। बाइबिल कुल मिलाकर 72 ग्रंथों का संकलन है- पूर्वविधान में 45 तथा नवविधान में 27 ग्रंथ हैं। नए नियम को इंजील कहा जाता है।