3. सूली पर लटाकाया : यरुशलम के गैलिल प्रांत में ईसा मसीह मानवता, भाइचारे, शांति और एकता का उपदेश दे रहे थे। वहां लोगों ने उन्हें परमपिता मानना प्रारंभ कर दिया। इससे धर्मगुरु और अंधविश्वास फैलाने वाले नाराज होने लगे। धर्मगुरुओं ने ईसा को मानवता का शत्रु बताना प्रारंभ किया और उन्होंने रोम शासक के नियुक्त गवर्नर पिलातुस को इसकी शिकायत की कि यह लोगों को भड़का रहा है। खुद को ईश्वरपुत्र बताने वाला यह घोर पापी है। इस पर धर्म की अवमानना और राजद्रोह का मामला बनता है। इसी आरोप के चलते ईसा मसीह को सूली पर मृत्यु दंड देने का फरमान जारी कर दिया। उन्हें सिर पर कांटों का ताज पहनाकर सूली पर लटका दिया गया।