परमेश्वर ने मूसा को दी थी ये 10 आज्ञाएं, आप भी जानिए...
* मूसा का परमेश्वर से हुआ था साक्षात्कार, जानिए 10 आदेश
'यदि तुम मुझसे प्रेम करते हो तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे।' (यो. 14:15)
इसराइली लोग मिस्र देश से निकलने के पश्चात बहुत दिनों तक यात्रा करते रहे। जब वे सिनाई नामक पर्वत (अरब) के पास पहुंचे, तब वहीं उन्होंने अपना पड़ाव डाला।
मूसा, ईश्वर के पास पर्वत पर बात करने गया। ईश्वर ने मूसा से कहा, तुम इसराइल के लोगों को यह बताना, मैं तुम्हें मिस्र देश की गुलामी से छुड़ाकर लाया हूं और तुम्हारी रक्षा की है इसलिए अब यदि तुम मेरी आज्ञा मानोगे और मेरे व्यवस्थापन का पालन करोगे तो मेरी निजी प्रजा बन जाओगे।
तब मूसा लोगों के पास पड़ाव पर आया और उनके सम्मुख ये बातें कही जिनकी आज्ञा प्रभु ने मूसा को दी थी। सब लोगों ने एक साथ मूसा को उत्तर दिया- 'प्रभु की सब आज्ञाओं का हम पालन करेंगे।'
तब ईश्वर ने मूसा से कहा कि वे लोगों को तीसरे दिन के लिए तैयार होने को कहें। उस दिन ईश्वर लोगों को 10 आज्ञाएं देने जा रहा था।
लोगों ने अपने वस्त्र धोए और खुद को तैयार किया और तीसरे दिन वे सिनाई पर्वत के नीचे आ गए। तभी जोरों से मेघ गर्जन हुआ, विद्युत चमकी, पर्वत हिलने लगा और एक संघन मेघ पहाड़ पर उतरा और सारा पर्वत ढंक गया। ईश्वर बादल में से ही उनसे बोला और उन्हें 10 आज्ञाएं दीं।
जब लोगों ने ईश्वर को बोलते सुना तो वे डर गए और मूसा से चिल्लाकर कहा- 'आप हमसे बात कीजिए अन्यथा हम लोग मर जाएंगे।'
मूसा ने उत्तर दिया- 'डरो मत, ईश्वर तुम्हारा नुकसान करना नहीं चाहता है। वह चाहता है कि तुम उसकी आज्ञाओं को मानो और उसके विरुद्ध कोई पाप न करो।' तब मूसा पर्वत पर ईश्वर के पास गया। वहां ईश्वर ने पत्थर की 2 शिलाओं पर 10 आज्ञाएं लिखीं और मूसा को दीं। (निर्गमन 19-20)
ईश्वर ने जो आज्ञाएं दीं, वे निम्नलिखित हैं -
1. मैं प्रभु तेरा ईश्वर हूं। प्रभु अपने ईश्वर की आराधना करना, उसको छोड़ और किसी की नहीं।
2. प्रभु अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना। (उचित कारण के बिना मेरा नाम न लेना)
3. प्रभु का दिन पवित्र रखना।
4. माता-पिता का आदर करना। (अपने माता-पिता को प्रेम करना और उनकी आज्ञाओं का पालन करना)
5. मनुष्य की हत्या न करना।
6. व्यभिचार न करना। (एक पवित्र जीवन बिताना)
7. चोरी न करना।
8. झूठी गवाही न देना। (झूठ नहीं बोलना)
9. पर-स्त्री की कामना न करना।
10. पराए धन (दूसरों के पास जो कुछ है, उसकी लालसा न करना) पर लालच न करना।