चीन के वुहान में कोरोना से हुई लोगों की मौतों का रहस्य लगातार गहराता जा रहा है। चीन के आंकड़ों पर यकीन नहीं हो रहा है। इस बीच मीडिया की तरफ से जो एक्सक्लूसिव खबरें आ रही हैं, वे चौंकाने वाली हैं।
चीन में लगातार बढ़ रहा कलश का उत्पादन दुनिया के लिए संदेह बनता जा रहा है। इन्हीं कलश के आधार पर कई टीवी मीडिया में चीन में मरने वालों की संख्या को लेकर बोला गया झूठ उजागर किया जा रहा है।
चीन के स्थानीय लोगों का दावा है कि वुहान में कोरोना वायरस से 3200 नहीं बल्कि 42 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। पहले चीन के अधिकारियों ने दावा किया था कि वुहान में सिर्फ 3200 लोगों की मौत हुई है। ऐसे में सवाल है कि फिर चीन में बनती बड़ी संख्या में कलश का प्रोडक्शन क्यों किया जा रहा है।
मीडिया में दावा किया जा रहा है कि चीन में रोजाना करीब 500 अस्थि कलश लोगों को दिए जा रहे हैं। मृतकों के परिवार इन कलश का उपयोग अपनों की अस्थियों को रखने के लिए कर रहे हैं।
कुछ पुराने वीडियो सामने आ रहे हैं, जिनमें मृतक घरों के आसपास हजारों लोगों की लाइनें लगी हुई हैं। कहा जा रहा है कि ये लाइनें लोग अपनों के शवों को लेने के लिए लगाई गई थी। इसी तरह अस्थि कलश के लिए भी मारा मारी चल रही है।
चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर के मार्केट से शुरू हुए कोरोना वायरस से चीनी अधिकारियों के मुताबिक अब तक पूरे देश में 3300 लोगों की मौत जबकि 81 हजार लोगों को संक्रमण बताया गया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन में सात अलग अलग अंतिम संस्कार स्थलों पर अस्थि कलश बांटें जा रहे हैं। कहा गया है कि हर 24 घंटे में 3500 लोगों को अस्थि कलश दिए गए हैं। हांकू, वुचांग और हनयांग में निर्देश जारी हुए है कि यहां लोगों को 5 अप्रैल को अस्थि कलश दिए जाएंगे। इसी दिन किंग मिंग महोत्सव शुरू होने जा रहा है जिसमें लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर जाते हैं।
इसी तरह कई प्रांतों में कलश बांटे जा रहे हैं। अगर चीन में इतनी कम मौते हुई हैं तो फिर इतनी संख्या में कलश क्यों बांटे जा रहे हैं।
डेली मेल की एक रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के बयानों पर आधारित दावा किया गया है कि चीन सरकार की तरफ बताया गया मौतों का आंकड़ा सही नहीं है, क्योंकि लाशों को जलाने वाले 24 घंटे काम कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि अगर इतनी कम मौतें हुई हैं तो अंतिम संस्कार करने वालों को 24 घंटे काम क्यों करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार धीरे धीरे मौत का आंकड़ा सामने ला रही है और लोग उसे धीरे-धीरे स्वीकार करते रहे।
हुबेई में तो कई लोग तो बिना इलाज के ही अपने घरों में मर गए। यहां एक महीने में ही करीब 27 हजार लोगों का अंतिम संस्कार किया गया।