इस अध्ययन में कहा गया है कि वायरस में बदलाव वाले जिन स्वरूपों की दुनिया के कई देशों में पहचान हुई है, उनकी मौजूदगी भारत में बहुत कम मिली है, लेकिन इसका कारण यह हो सकता है कि जीनोम अनुक्रमण का पर्याप्त कार्य नहीं हुआ है।
सीसीएमबी के वैज्ञानिक लगातार कोरोना वायरस के जीनोम का अनुक्रमण और विश्लेषण का काम कर रहे हैं। सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि हमें ऐसे साक्ष्य मिले हैं कि दक्षिणी राज्यों में कोरोनावायरस का एन440के स्वरूप तेजी से फैल रहा है। इसके प्रसार की स्थिति को समझने के लिए करीबी निगरानी की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हालात बिगड़ने से पहले नए स्वरूप का समय रहते पता लगाना बहुत जरूरी है। अध्ययन में कहा गया कि कोरोनावायरस से बचाव के लिए टीके उपयोगी हैं, लेकिन मास्क लगाना, हाथ साफ करते रहना और उचित दूरी बनाकर रखना सबसे कारगर उपाय है।