जम्मू। कश्मीर में टूरिस्टों की बहार है। हर चेहरा खुशी से दमकने लगा है, पर चिंता अब इस बात की है कि यह खुशी कितने दिनों तक कायम रह पाएगी। कारण स्पष्ट है। देश में बढ़ते कोरोनावायरस (Coronavirus) के मामलों और नई लहर आने की अफवाहें गर्म होने का परिणाम है कि कश्मीर अब एक बार फिर डरने लगा है।
आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि साल के पहले 2 महीनों में 4 लाख से अधिक पर्यटकों ने कश्मीर में आने वाली बहार का लुत्फ उठाया। अप्रैल के अंत तक कश्मीर के होटलों में बुकिंग शत-प्रतिशत है। गुलमर्ग का गंडोला पिछले वित्त वर्ष में 100 करेाड़ कमाकर फूला नहीं समा रहा है, पर अब कोरोना की वापसी डराने लगी है।
श्रीनगर के मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसीन विभाग के इंचार्ज डॉ. मुहम्मद सलीम खान कहते हैं कि वे प्रतिदिन 10 से ज्यादा टेस्ट कर रहे हैं, जिसके नतीजे नेगेटिव हैं, पर वे खतरा मोल नहीं ले सकते, क्योंकि केंद्र की ओर से मिले ताजा निर्देशों के बाद टेस्टिंग बढ़ाई जा रही है। फिलहाल स्थानीय लोगों के ही टेस्ट किए जा रहे हैं।
टूरिज्म सेक्टर से जुड़े लोगों का मानना है कि कश्मीर में टूरिस्टों का अथाह समुद्र है और कोरोना का खतरा किसी को भी नहीं डरा रहा है पर केंद्र सरकार द्वारा प्रकट की जाने वाली चिंताओं के बाद अब उन्हें भी एक बार फिर हालात के प्रति चिंता होने लगी है।
डॉ. सलीम ने बताया कि जम्मू-कश्मीर ने दोनों खुराक देने में 100 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। वे कहते हैं कि हमने पूरी आबादी को दोनों खुराक के साथ प्रतिरक्षित किया है। अधिकारियों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर सरकार ने पिछले साल 30 सितंबर तक 24,582,649 वैक्सीन की खुराक दी हैं। इनमें से 11,365,277 पहली और 11,759,791 दूसरी खुराक थी। पिछले साल 30 सितंबर तक लगभग 1,457,581 एहतियाती खुराक दी गई हैं।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने गतिशील टीकाकरण अभियान शुरू किया था। 20 जिलों में टीकाकरण स्थलों को बढ़ाने के अलावा सरकार ने घर-घर जाकर अभियान चलाया था। प्रदेश की टीकाकरण अभियान की सफलता ऐसी थी कि बाम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर और केरल के घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम से सीख लेने को कहा था। अन्य राज्यों के अधिकारी अपने-अपने स्थानों पर टीकाकरण कवरेज बढ़ाने के लिए जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य अधिकारियों से सलाह लेते रहे।