तीसरे माले से लटकती रस्सी पर टिकी दिल्ली में कोरोना योद्धा के परिवार की जिंदगी

शुक्रवार, 22 मई 2020 (18:14 IST)
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण उन्मूलन के दौरान जाने-अनजाने तमाम लोगों की जान बचाने वाले 
एक कोरोना योद्धा के परिवार की जिंदगी की डोर आजकल तीसरी मंजिल से लटकती एक रस्सी पर टिकी हुई है।
 
पति के कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद किराये के दो कमरे के मकान में दो बच्चों के साथ रह रहीं 32 वर्षीय 
रश्मि (बदला हुआ नाम) दूध, सब्जी और अन्य तमाम जरुरी चीजों के लिए पूरी तरह से अपने पड़ोसियों पर निर्भर है। अच्छी बात यह है कि लोग बखूबी अपना पड़ोसी धर्म निभाते हुए रश्मि और उनके बच्चों की हरसंभव मदद कर रहे हैं।

इस कोरोना योद्धा के वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद 13 मई से ही रश्मि और उनके दोनों बच्चे (10 साल से कम उम्र के) पृथक-वास में रह रहे हैं। रश्मि की इमारत में ही तीसरी मंजिल पर रहने वाले ओम प्रकाश अपनी बालकनी से रस्सी में थैला बांधकर उसकी मदद से भोजन और बाकी जरुरी चीजें दूसरी मंजिल में इस परिवार को पहुंचा रहे हैं।
 
गुलाबी बाग के दिल्ली सरकार के सरकारी आवास में रहने वाले रश्मि के तीन अन्य पड़ोसियों का दावा है कि प्रशासन से इस परिवार को कोई मदद नहीं मिली है। पड़ोस के लोग जरुरी चीजें और बच्चों के लिए चॉकलेट लाकर ओम प्रकाश को देते हैं, और वह बालकनी से थैला लटका कर उसे रश्मि तक पहुंचाते हैं।
 
पड़ोसियों का कहना है कि वे सभी इस कोरोना योद्धा के परिवार की मदद करना चाहते हैं और रस्सी की मदद से 
सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए वे ऐसा कर पा रहे हैं। ओम प्रकाश ने बताया कि रस्सी से सामान लटकाते वक्त वह 
दस्ताने पहनते हैं और अपने हाथों को सैनेटाइजर से अच्छे से संक्रमण मुक्त भी करते हैं।
 
गुलाबी बाग की गढ़वाली जन कल्याण समिति के अध्यक्ष नरेंद्र रावत ने दिल्ली सरकार से अनुरोध किया है कि वह पृथक-वास में रह रहे इस परिवार के लिए समुचित व्यवस्था करे।
 
रावत ने कहा कि गुलाबी बाग के सरकारी आवासों में रहले वाले करीब 250 लोग कोविड-19 ड्यूटी में लगे हुए हैं। यहां रहने वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भी सरकारी रसोइयों आदि में जरुरतमंदों को भोजन बांटने के काम पर लगाया गया है।
 
उन्होंने बताया, हम सरकार से विनती करते हैं कि वह गुलाबी बाग सरकारी आवासों को संक्रमण मुक्त कराए क्योंकि यहां रहने वाले सैकड़ों लोग कोविड-19 ड्यूटी में लगे हुए हैं। (भाषा)

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