वायरस के डेल्टा स्वरूप की पहचान सबसे पहले भारत में की गई थी। कोविड-19 के चिंताजनक स्वरूपों (वीओसी) का नियमित रूप से विश्लेषण कर रहे पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने कहा कि नवीनतम विश्लेषण से यह प्रदर्शित होता है कि फाइजर/बायोएनटेक टीके की दो खुराक अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 96 प्रतिशत कारगर है,
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के इस वैरिएंट को 'चिंतित करने वाला' बताया है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोरोनावायरस का नया वैरिएंट 2020 के मुकाबले ज़्यादा चालाक हो गया है। अब हमें ज्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है। हमें ज्यादा सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना होगा। मास्क लगातार पहने रखना होगा। इसके बिना परिस्थिति फिर खराब हो सकती है। (इनपुट भाषा)