राष्ट्रीय विज्ञान, अभियांत्रिकी एवं आयुर्विज्ञान अकादमी की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रायोगिक अध्ययन निश्चित ही लैबोरेटरी में अधिक तापमान एवं नमी के स्तर और सार्स-सीओवी-2 के जीवित रहने की संभावना घटने के बीच संबंध दिखाया गया है।
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरणीय तापमान, नमी और किसी व्यक्ति के शरीर के बाहर वायरस का जिंदा रहने के अलावा कई और कारक हैं जो ‘असल दुनिया’ में मनुष्यों के बीच संक्रमण की दर को प्रभावित तथा निर्धारित करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि अब तक प्राकृतिक इतिहास अध्ययनों में संभावित मौसमी प्रभावों के संबंध में विरोधाभासी परिणाम भी हैं। विशेषज्ञों ने पाया कि यह रिपोर्ट असंतोषजनक डेटा गुणवत्ता, संदेहास्पद कारकों और अपर्याप्त समय के कारण भी प्रभावित हैं। (भाषा)