नैनीताल। उत्तराखंड में कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर उत्तराखंड सरकार की तैयारियों को लेकर हाईकोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने सरकार के एंबुलेंस सहित अन्य दावों को भी झूठ करार दिया। कहा कि अब हमें मूर्ख न बनाएं। मत बताइए कि उत्तराखंड में रामराज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं। आप रोडवेज के ड्राइवर्स-कंडक्टर्स को 5 महीने से सैलरी नहीं दे पा रहे हैं। आप पर्याप्त एंबुलेंस की बात करते हैं, लेकिन खबरें आती हैं कि पहाड़ों में गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस नहीं मिलती है और पालकी से ले जाना पड़ता है। हमें मूर्ख बनाना बंद करिए, हकीकत हमें पता है।
कोर्ट ने उत्तराखंड से स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को कड़ी फटकार लगाई। नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा, डेल्टा वैरिएंट एक महीने में पूरे देश में फैल गया था और डेल्टा प्लस वैरिएंट को फैलने में तीन महीने भी नहीं लगेंगे। ऐसे में हमारे बच्चों को बचाने के लिए आप लोग क्या कर रहे हैं। आप सोच रहे हैं कि डेल्टा प्लस वैरिएंट आपकी तैयारियां पूरी होने का इंतजार करेगा।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, सच्चिदानंद डबराल, अनू पंत, रवीन्द्र जुगरान, डीके जोशी व अन्य की अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव के तीसरी लहर को लेकर बच्चों के लिए तीन महीने तक विटामिन सी और जिंक आदि की दवाएं देने की दलील पर तीखी फटकार लगाई।
चीफ जस्टिस ने कहा कि आप बच्चों को ये दवा कब खरीदकर देंगे? जब तीसरी लहर आ जाएगी, तब दवाएं खरीदने की प्रकिया पूरी करेंगे। जिस जीओ को अगले हफ्ते या 30 जून तक जारी करने की बात कह रहे हैं वो जीओ कल क्यों नहीं जारी हो सकता। आज शाम पांच बजे तक जारी क्यों नहीं हो सकता? हाईकोर्ट ने कहा कि जब महामारी में वॉर फूटिंग पर काम करने की जरूरत है। तब आप लोग ब्यूरोक्रेटिक बाधा पैदा कर काम को बोझिल बनाकर देरी कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने कहा, क्या जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे मरने लगेंगे, तब सरकार की तैयारियां होंगी? कोर्ट ने कहा कि आपने अभी तक बच्चों के लिए कितने वार्ड बनाए हैं। इस पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा, अगली सुनवाई के दौरान बता पाएंगे कितने वार्ड तैयार हो पाएंगे। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हम बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में ट्रीटमेंट देंगे, जो मॉडरेट और माइल्ड केस होंगे। उन्हीं को जिला अस्पतालों में उपचार के लिए रखेंगे। हाईकोर्ट ने कहा, टाइमफ्रेम के साथ तैयारियों का स्तर बताइए। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल में डेल्टा प्लस वैरिएंट केस आ चुके हैं और आपकी तैयारियां कहां पहुंची।
हाईकोर्ट ने कहा कि देहरादून में तीसरी लहर से लड़ने को बच्चों के लिए आपके पास 10 वेंटिलेटर हैं। बताइए 80 बच्चे क्रिटिकल हो गए तो 70 बच्चों को मरने के लिए छोड़ देंगे? कोर्ट ने कहा कि एफिडेविट में आपने माना है कि रुद्रप्रयाग में 11 वेंटिलेटर हैं, जिसमें नौ खराब हैं। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कोर्ट ने सिर्फ जिला अस्पतालों की डिटेल मांगी थी, हमारे पास मेडिकल कॉलेजों व निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर-आईसीयू के और इंतजाम हैं। कोर्ट ने कहा, आपको जानकारी देने से किसने रोका है!
ब्लैक फंगस को लेकर भी कोर्ट ने सरकार की तैयारियों को लेकर जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि हम कोरोना और ब्लैक फंगस से एक साथ दोहरा युद्ध लड़ रहे है और आपकी तैयारियां कैसी हैं, किसी से छिपी नहीं हैं। अधिवक्ता और याचिकाकर्ता अभिजय नेगी ने सरकार को सुझाव दिया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तक ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी चाहिए। अधिवक्ता और याचिकाकर्ता दुष्यंत मैनाली ने कहा कि राज्य सरकार, जो मेडिकल उपकरण खरीद भी ले रही है तो उनको ऑपरेट करने वाले नहीं होने से मरीजों को पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा
चीफ जस्टिस ने कहा, आप तैयारियों को लेकर समय बताएं, कब तक क्या करेंगे? आपके पास पांच मेडिकल कॉलेज हैं तो बाकी जिलों के बच्चों का क्या होगा? उदाहरण के लिए बताएं, बागेश्वर और पिथौरागढ़ के बच्चों के लिए क्या करेंगे? चीफ जस्टिस ने कहा कि मान लीजिए, मैं पैरेंट हूं और बागेश्वर में रहता हूं। रात्रि को अपने बच्चे को लेकर कहां पहाड़ों में भागूंगा? इस पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा, कोरोना हार्टअटैक जैसी बीमारी नहीं है। पहले बुखार होगा दूसरे सिम्टम आएंगे। फिर जिला अस्पताल से लेकर सुशील तिवारी हॉस्पिटल तक लाया जा सकता है।
कोर्ट ने एफिडेविट का पेज 41 पढ़ने को कहकर बच्चों को होने वाली सिवियरिटी पढ़ लेने को कहा। चीफ जस्टिस ने कहा, मान लीजिए मेरे बच्चे को एक्यूट रेस्पिरेटरी डिजीज है और चमोली में रहता हूं, बताइए कहां लेकर जाऊंगा। कोर्ट ने कहा, आपका पर्याप्त एम्बुलेंस का दावा झूठा है। दिल्ली-फरीदाबाद में एंबुलेंस नहीं मिली और आप कहते हैं, आपके पास उत्तराखंड में पर्याप्त एम्बुलेंस हैं। आप पर्याप्त एंबुलेंस की बात करते हैं, लेकिन खबरें आती हैं कि पहाड़ों में गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस नहीं मिलती है और पालकी से ले जाना पड़ता है।
कोर्ट ने कहा, हमें मूर्ख बनाना बंद करिए हकीकत हमें पता है। चीफ जस्टिस को मत बताइए कि उत्तराखंड में रामराज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कहा, आप रोडवेज के ड्राइवर्स-कंडक्टर्स को पांच महीने से सैलरी नहीं दे पा रहे हैं। दिक्कत ये है कि हमारे ब्यूरोक्रेट्स को नहीं पता कि राज्य के हालात क्या हैं?
हेल्थ सेक्रेटरी अमित नेगी ने कहा कि अगले एफिडेविट में तीसरी लहर को लेकर तैयारियों की पूरी जानकारी देंगे।
हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को कहा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के मूल खतरे को आप समझ नहीं पाए। उसमें ऑक्सीजन युक्त एंबुलेंस की सबसे ज्यादा दरकार है। चीफ जस्टिस ने स्वास्थ्य सचिव से पूछा कि राज्य में 0-18 आयु के बच्चे कितने हैं। ऑक्सीजन युक्त कितनी एंबुलेंस हैं, उसकी जानकारी अगली सुनवाई 28 जून को बताएं।