Exclusive : Corona काल में किस तरह जी रहे हैं अमेरिकी

डॉ. रमेश रावत
कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में हाहाकार मचा रखा है, जिसके चलते दुनिया भर में करीब 20 लाख से अधिक लोग वायरस की चपेट में आ गए हैं एवं 1 लाख 25 हजार से अधिक मौतें हो गई हैं। 'सुपर पॉवर' अमेरिका में 26000 से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए हैं। इसी मुद्दे को लेकर दुनिया के जाने-माने मीडिया एवं संचार के प्रोफेसर, ग्लोबल कम्युनिकेशन एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष, उत्तरी कैरोलिना ए एंड टी स्टेट यूनिवर्सिटी, ग्रीन्सबोरो, उत्तरी कैरोलिना के प्रो. डॉ. याहया कमलीपौर ने वेबदुनिया के लिए विशेष साक्षात्कार दिया। 
 
कमलीपौर ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि इस वैश्विक महामारी से मिलजुलकर ही निबटा जा सकता है। आइए जानते हैं कि संकट की इस घड़ी में अमेरिका एवं विश्व के प्रति कोरोना वायरस के प्रभाव को लेकर क्या सोचते हैं प्रो. कमलीपौर...
 
 
प्रश्न : कोरोना (कोविड 19) से सुरक्षित रखने के लिए पिछले कुछ दिनों में आपके जीवन में किस प्रकार के बदलाव आए हैं?
उत्तर : खैर, दुनियाभर के ज्यादातर लोगों की तरह ही मेरी भी दिनचर्या में काफी बदलाव आया है। मैं पिछले पांच हफ्तों से घर पर ही हूं एवं अपना टीचिंग कार्य जूम, ब्लेकबोर्ड, स्काइप एवं ईमेल के जरिए कर रहा हूं। चूंकि अधिकांश विश्वविद्यालयों में छात्रों, संकायों को कोविड-2019 के चलते बंद कर दिया गया है। हालांकि इस टीचिंग पैटर्न के लिए विद्यार्थी एवं शिक्षक दोनों ही पूर्णतया तैयार नहीं थे। खासकर उन लोगों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जो कि पहली बार टीचिंग के इस पैटर्न को अपना रहे हैं। इसी के साथ कंप्यूटर इन्फ्रास्ट्रक्चर, सॉफ्टवेयर, वाई-फाई की डिमांड बढ़ गई है। इसी के साथ ही कम्यूटर क्रैश, सिस्टम ओवरलोड एवं हैकिंग जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
 
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पिछले पांच हफ्तों के दौरान मैं केवल दो बार किराने की खरीददारी के लिए गया था एवं बाकी समय घर पर ही रहा। मैं अक्सर सोचता हूं कि हम इंटरनेट, स्मार्ट फोन और ऑनलाइन शॉपिंग के बिना क्या करेंगे। इन संचार प्रौद्योगिकियों के बिना जीवन वास्तव में अकल्पनीय, उबाऊ एवं भावनात्मक रूप से संभव नहीं है। विशेषकर बच्चों, विद्यार्थियों एवं युवाओं के लिए जिन्हें अक्सर 'डिजिटल नेटिव' कहा जाता है। वे अपने स्मार्ट फोन और नई संचार प्रौद्योगिकी पर निर्भर हैं। इस महामारी ने दुनिया भर के अकादमिक संस्थानों को जल्दी से अपने पारंपरिक तरीकों को बदलने के लिए मजबूर तो किया ही है इसके साथ ही ऑनलाइन एवं वर्चुअल टीचिंग एवं लर्निंग के तरीकों में बदलाव करने का दबाव भी बनाया है।
 
प्रश्न : घर पर रहने का विचार आपके दिमाग में कब आया एवं घर पर वक्त किस तरह व्यतीत होता है?
उत्तर : मेरा ज्यादातर समय कक्षा की तैयारी एवं टेली टीचिंग में व्यतीत होता है, जो कि एक गहन श्रम एवं बहुत समय खर्च करने वाला कार्य भी है। इसके साथ ही मैं पत्रकारिता एवं सचांर के करीब 35 संस्थानों को वर्चुअली कोर्स सलेक्शन एवं सेमेस्टर के लिए पंजीकरण में भी सहायता देता हूं।
 
इन गतिविधियों के साथ ही मैं 'Global Perceptions of the United States : The Trump Effect' नामक एक नई पुस्तक को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हूं। जिसे इस गर्मी के बाद प्रकाशित किया जाएगा। इसके लिए अब तक 19 देशों के मीडिया एवं कम्युनिकेशन के 28 स्कॉलर्स यूएस एवं ट्रंप पर शोध एवं आकलन कर रहे हैं।
 
प्रश्न : आपकी दिनचर्या क्या है और स्वयं को किस तरह व्यस्त रखते हैं?
उत्तर : जहां तक भोजन का सवाल है तो मेरी पत्नी बहुत ही रिसोर्सफुल हैं। वह भोजन की प्लानिंग, भोजन तैयार करने, पकाने एवं उसको फ्रीज में रखने ‍सहित कई दिनों तक उपयोग में लाने की कला में पारंगत हैं। मनोरंजन के लिए मैं इंटरनेट, हुलू, नेटफ्लिक्स, अमेजन एवं केबल टेलीविजन को धन्यवाद देता हूं। इसके साथ ही हमने मूवी देखना, नेचर डॉक्यूमेंट्री एवं सीरीज देखना आरंभ किया है। मैं आमतौर पर टीवी सीरीज लगातर नहीं देखता। हफ्तों या महीनों में कभी-कभी देखता हूं। इसके साथ ही संगीत सुनना, पढ़ना, लिखना आदि भी शामिल है।
 
शारीरिक रूप से स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए जब मौसम अनुकूल होता है तो हम सामन्यतः एक घंटा आसपास घूम लेते हैं। इसी के साथ स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए घूमने एवं सामान खरीदते समय उचित दूरी भी बनाए रखते हैं। 
 
प्रश्न : क्या इस अवधि में आपने कोई प्रोजेक्ट, कॉन्‍फ्रेंस, बैठकें एवं अकादमिक गतिविधियां कैंसिल की हैं?
उत्तर : दुर्भाग्य से मैंने अपने सम्मेलनों, यात्राओं को रद्द कर दिया है। आगामी 10 से 12 जून 2020 को 16वां वैश्विक संचार संघ सम्मेलन का आयोजन भी कोरोना महामारी के कारण रद्द करना पड़ा। मै ग्लोबल कम्यूनिकेशन एसोसिएशन का संस्थापक हूं और 2007 से लेकर अब तक विश्व के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में मैंने वैश्विक संचार संघ सम्मेलनों का आयोजन किया है। 
प्रश्न : सूचनाओं और दोस्तों से किस तरह जुड़े हुए हैं?
उत्तर : समुदाय, क्षेत्र, राष्ट्र एवं दुनिया में होने वाली घटनाओं के बारे में जानने के लिए हम पारंपरिक और साथ ही सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, ट्‍विटर आदि पर भरोसा करते हैं। इसी तरह परिवार एवं दोस्तों से संपर्क में रहने के लिए टेलीफोन के अतिरिक्त हम इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क एवं संबंध बनाए हुए हैं। 
 
प्रश्न : कोविड 19 को रोकने के लिए अमेरिका की सरकार ने किस प्रकार के कदम उठाए हैं?
उत्तर : संक्रमित लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। इसके अतिरिक्त इस खतरनाक वायरस को अमेरिका के लगभग सभी स्टेट में निम्न सिफारिशों को भी लागू किया गया है-
1. घर पर ही रहें।
2. दूसरों के साथ करीबी संपर्क से बचें।
3. अनावश्यक खरीददारी एवं यात्रा से बचें।
4. हाथ अक्सर धोते रहें।
5. मुंह ढंकने के लिए मास्क अथवा चेहरे को कवर कने वाले कपड़े से ढंके। 
6. जो स्थान प्रायः हम छूते हैं उसे साफ-सुथरा रखे एवं सैनेटाइज करते रहें। 
7. चेहरा छूने से बचें। 
8. समूह में जाने या पार्टी में जाने से बचें।
9. भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर ना जाएं।
10. खांसते या छींकते समय मुंह को कवर करें। 
11. यदि बीमार महसूस कर रहे हैं तो स्वयं को अलग रखें या आइसोलेट करें।
12. अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
 
प्रश्न : घर पर रहने के दौरान कोविड-2019 से बचने के लिए टिप्स दें, जो कि आप भी अपना रहे हैं?
उत्तर : जाहिर है कि हम सभी इस महामारी का सामना एक साथ कर रहे हैं। चाहे जाति हो, धर्म हो या फिर राष्ट्रीयता हो, सभी इस वायरस से प्रभावित हैं। आर्थिक और राजनीतिक हालात भी इससे अछूते नहीं हैं। दूसरे शब्दों में यह वायरस भेदभाव नहीं करता है।
 
यह वायरस देश, राज्य आदि की सीमाओं को नहीं पहचानता है। इसलिए स्वास्थ्य संगठनों, चिकित्सा विशेषज्ञों, डब्ल्यूएचओ और सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्धारित मांपदंडों और नियमों का हमें पालन करना चाहिए। इससे हम न केवल कोरोना वायरस को हरा सकते हैं बल्कि अन्य लोगों को भी इसे फैलाने से रोक सकते हैं। इस महामारी का सामना हम सभी एक साथ कर रहे हैं एवं इसे एक साथ ही हरा सकते हैं। 
 
प्रश्न : अमेरिका में कोरोना लेकर जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए मीडिया की भूमिका कैसी रही?
उत्तर : जनता को सूचित करने और शिक्षित करने में मीडिया की भूमिका और मीडिया का प्रभाव किसी भी देश में अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोरोना वायरस के जवाब में कई कंपनियां और सरकारी एजेंसियां रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए सीडीसी, राष्ट्रीय टेलीविजन नेटवर्क के माध्यम से सार्वजनिक घोषणाएं भी करते हैं। पारंपरिक और नया मीडिया सभी मिलकर महामारी को कम करने एवं जनजागरूकता बढ़ाने की दिशा में आवश्यक कदम उठा रहे हैं। 
 
प्रश्न : आपके देश में टीवी और रेडियो द्वारा किस तरह के प्रोग्राम पेश गए हैं?
उत्तर : अमेरिका में सैकड़ों ब्रॉडकास्ट एवं केबल टेलीविजन चैनल्स हैं। इनमें से अधिकांश निजी स्वामित्व के हैं और स्वाभाविक रूप से विज्ञापन पर भरोसा करते हैं। वाणिज्यिक नेटवर्कों के अलावा यहां पर गैर वाणिज्यिक एवं सार्वजनिक नेटवर्क हैं। जिनमें राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो एवं सार्वजनिक प्रसारण प्रणाली भी शामिल है। वाणिज्यिक प्रसारण नेटवर्क में सीएनएन, एनबीसी, सीबीएस, फॉक्स, एबीसी दूसरे चैनल्स की तुलना में अधिक प्रचलित हैं। बहरहाल उनका अधिकांश समय साक्षात्कार, रिपोर्ट और कोरोना वायरस से संबंधित मुद्दों के लिए समर्पित हैं। 
 
प्रश्न : इस माहौल में समाचार पत्रों की भूमिका को किस तरह देखते हैं? 
उत्तर : रेडियो और टेलीविजन प्रसारण नेटवर्क और सोशल मीडिया की तुलना में अखबार जागरूकता लाने में कम भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि समाचार पत्र अब डिजिटल प्रारूपों में उपलब्ध हैं। ऐसे में वे अपने पाठकों, ग्राहकों एवं सब्सक्राइबर्स को टैक्स्ट एवं ईमेल के माध्यम से सूचित करते हैं। 
 
इसके अतिरिक्त छात्रों एवं युवाओं की अखबारों के प्रिंट वर्जन पढ़ने की आदत नहीं रही है एवं न ही वे अखबार का प्रिंट वर्जन खरीदते हैं। वे मुख्य रूप से अपने दैनिक समाचारों को जानने की इच्छा की पूर्ति के लिए सोशल मीडिया एवं इंटरनेट पर भरोसा करते हैं। 
प्रश्न : क्या कोविड-19 को लेकर अमेरिका में फेक न्यूज का भी सामना करना पड़ रहा है? 
उत्तर : दुर्भाग्य से कुछ अनैतिक एवं बेईमान लोग अफवाहों का बाजार गर्म रखते हुए इस महामारी के दौर में भी कोविड-19 के इलाज को लेकर आमजन का शोषण कर रहे हैं। वे अज्ञात एवं अप्रमाणित उत्पाद भी बेच रहे हैं। इसलिए वहां पर लोग अपनी जान को खतरे में डालने, पैसे के खोने के डर को लेकर एवं झूठे वादों पर अमल को लेकर भी डरे हुए हैं। दुनिया भर के लोगों को इस प्रकार के धोखों से बचना चाहिए। इसके साथ ही अपने स्त्रोत के माध्यम से किसी भी जानकारी पर विश्वास करने से पहले उसे दो बार चैक करना चाहिए। इसके लिए वे स्वास्थ्य एजेंसियों एवं चिकित्सकों से भी परामर्श ले सकते हैं। 
 
प्रश्न : आम आदमी के जीवन में किस तरह के बदलाव आए हैं?
उत्तर : कोरोना वायरस ने बड़े स्तर पर नकारात्मक रूप से मानव के बीच बातचीत को प्रभावित किया है। इसका सीधा असर उनके अंदर व्याप्त भय के रूप में हम देख सकते हैं। कोरोना एक अदृश्य दुश्मन है एवं इस खतरनाक बीमारी से बचने की पूर्ण कोशिश कर रहे हैं। इसे हर व्यक्ति को गंभीरता से लेना चाहिए। 
 
कौन हैं डॉ. याहया कमलीपौर : ख्यात मीडिया विद्वान याह्या आर. कमलीपौर, (पीएचडी, मिसौरी विश्वविद्यालय) संचार के प्रोफेसर हैं एवं उत्तरी कैरोलिना ए एंड टी स्टेट यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। इससे पहले आपने प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में 28 साल तक प्योरडे विवि नार्थ वेस्ट में कार्य किया है। ग्लोबलाइजेशन, मीडिया इम्पेक्ट, इंटरनेशनल कम्युनिकेशन, मिडिल ईस्ट मीडिया एवं न्यू कम्युनिकेशन टेक्नालॉजी आदि विषयों में शोध कार्य किया तथा 18 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
 
डॉ. कमलीपौर विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए और एक दर्जन से अधिक प्रमुख संचार पत्रिकाओं के सलाहकार एवं संपादकीय बोर्ड में अकादमिक सलाहकार के रूप में कार्य कर चुके हैं। करीब 65 देशों की यात्रा कर चुके कमलीपौर का बीबीसी, रॉयटर्स, एबीसी, वीओए, रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल, चाइनीज टीवी, इंडियन टीवी, वॉशिंगटन पोस्ट समेत प्रमुख अखबारों एवं मीडिया संस्थानों में साक्षात्कार प्रकाशित और प्रसारित हो चुके हैं। 
 
 

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