बेंगलुरु। कोरोना वायरस (Corona virus) की चपेट में आने से बचने के लिए लोग हर प्रकार का एहतियात बरत रहे हैं लेकिन संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए उनके मन में तरह-तरह के प्रश्न हैं और इनके उत्तर जानने के लिए वे चिकित्सकों से और अस्पतालों के हेल्प लाइन नंबर पर फोन करके अपनी शंकाओं का समाधान कर रहे हैं।
परेशान लोगों के प्रश्न इस प्रकार हैं- अगर मुझे कोरोना वायरस संक्रमण हुआ तो क्या मेरे बच्चे भी इसकी चपेट में आ जाएंगे? अगर मुझे संक्रमण हुआ और बंद के कारण मैं अस्पताल नहीं पहुंच पाया तो? जब मैं अस्पताल पहुंचूंगा तो क्या मुझे वेंटीलेटर मिल पाएगा।? अगर मेरी मौत हो गई तो क्या मेरा अंतिम संस्कार करने कोई आएगा?
कोविड-19 के मामले देख रहे अस्पतालों, मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्सकों से लोग इस तरह के प्रश्न पिछले कुछ दिनों से पूछ रहे हैं। इसके अलावा हेल्प लाइन नंबरों में भी परेशान लोग ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर जानना चाह रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के एक विशेषज्ञ ने कहा, लोग अनुमान लगा रहे हैं कि बुरे से बुरा क्या होगा, लेकिन यह ठीक नहीं है। इसे रोकना होगा। यह चिंताओं का एक चक्र है जो लोगों को परेशान कर देगा। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं न्यूरो साइंस संस्थान के निदेशक बीएन गंगाधर ऐसी चिंताओं को विषम परिस्थितियों में सामान्य प्रतिक्रिया करार देते हैं।
पद्मश्री से सम्मानित गंगाधर कहते हैं, ऐसे मामलों में अधिकतर लोग ठीक हो जाते हैं। कम से कम 95 फीसदी लोग एकदम ठीक हो जाते हैं। उन्होंने कहा, यह अच्छी बात है कि जो भी बीमारी है, वह कम समय चलने वाली बीमारी है, 15 दिन से एक माह से ज्यादा नहीं खिंचती। यह आती है और जाती है। घबराने की जरूरत नहीं है।