उन्होंने कहा कि आज यह बात मुझे बड़े दुख के साथ इसलिए भी कहनी पड़ रही है, क्योंकि कोरोना वायरस के संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकारों ने दलितों और गरीबों की उपेक्षा की। इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। इस वजह से दलितों और अति पिछड़ों की स्थिति और दयनीय हो गई और देश के कई हिस्सों से लोग पलायन करने को मजबूर हुए हैं। अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो पलायन करने वालों में 90 फीसदी दलित और अति पिछड़े थे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला, जहां आम आदमी पार्टी ने इन्हें प्रलोभन देकर वोट तो लिया लेकिन लॉकडाउन के दौरान पलायन करने से भी नहीं रोका बल्कि बसों से बॉर्डर तक छोड़ आए।
मायावती ने कहा कि मैं बताना चाहती हूं कि डॉ. बीआर अंबेडकर ने अपना सारा जीवन यह सुनिश्चित करने में बिताया कि दलित, आदिवासियों और अन्य हाशिए के समुदाय स्वाभिमान के साथ रहते हैं। सरकार को गरीबों, मजदूरों, किसानों और अन्य मजदूर वर्ग के हितों को ध्यान में रखना चाहिए और तालाबंदी के दौरान उन्हें मदद प्रदान करनी चाहिए।