मुख्यमंत्री का कोरोना पॉजिटिव होना कई सवाल खड़े कर रहा है। पहला बड़ा सवाल यह है कि आखिर सिस्टम में कहां चूक हो गई, जिससे कि प्रदेश के मुखिया ही कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। मुख्यमंत्री निवास या मंत्रालय में कोरोना प्रोटोकॉल और गाइडलाइंस के पालन में ऐसी चूक आखिर कैसे हो गई कि मुख्यमंत्री ही संक्रमण की चपेट में आ गए। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय समेत अन्य कांग्रेसियों ने इस पर सवाल उठाए हैं।
सवाल यह भी हैं कि राजनेता और सियासी दल कोरोना काल में भी क्या सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को दरकिनार कर रहे हैं या उस पर ध्यान नहीं दे रहे है। ऐसे में जबकि भोपाल इस वक्त कोरोना का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बना हुआ है तब क्या राजनीतिक दलों को अपने राजनीतिक कार्यक्रमों पर विराम नहीं लगा देना चाहिए या ऐसे कार्यक्रमों में सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा पालन पूरी सख्ती से करना चाहिए।
सवाल यह भी है कि प्रदेश के जनता से कोविड-19 की गाइडलाइन के अपील करने वाले जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग क्या काम के दबाव या लोगों की समस्याओं को सुलझाने में एक तरह से जाने-अनजाने में खुद गाइडलाइन का उल्लंघन कर रहे हैं। जब प्रदेश में कोरोना वायरस पूरी तरह बेकाबू हो चुका है तब ऐसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग, जिनके कंधों पर प्रदेश की सात करोड़ से अधिक जनता का भार है क्या उनको अतिरिक्त सतर्कता नहीं बरतनी चाहिए?
इसके एक दिन पहले मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री सुहास भगत और मंत्री अरिवंद भदौरिया एक साथ राज्यपाल लालजी टंडन को श्रद्धांजलि देने राजकीय विमान से लखनऊ गए थे। अरविंद भदौरिया के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद वीडी शर्मा और सुहास भगत की कोरोना रिपोर्ट तो नेगेटिव आ गई, लेकिन मुख्यमत्री चौहान संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर यह साफ नहीं हुआ है कि चौहान कैसे संक्रमण की चपेट में आए।