Coronavirus LockDown : स्मार्टफोन पर साइबर अटैक का खतरा, रखें इन 5 बातों का ध्यान
गुरुवार, 9 अप्रैल 2020 (16:34 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने मोबाइल फोन पर इंटरनेट का प्रयोग करने वाले सभी लोगों को ‘स्पाईवेयर और रैंसमवेयर’ के खिलाफ सतर्कता बरतने की सलाह देते हुए कहा है कि लॉकडाउन के कारण हैंडसेट पर इंटरनेट का इस्तेमाल और साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी सहित अन्य अपराधों का खतरा भी बढ़ा है।
भारतीय साइबर क्षेत्र/स्पेस की सुरक्षा के लिए तमाम साइबर खतरों/हमलों से लड़ने वाली एजेंसी कम्प्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम ऑफ इंडिया (सीईआरटी-इन) ने निजी मोबाइल फोन को सुरक्षित रखने को लेकर जारी परामर्श में लोगो को दर्जन भर सलाह दी है।
एजेंसी ने कहा है कि मौजूदा वैश्विक स्वास्थ्य हालात में लोगों का सामान्य काम करने का तरीका बदल गया है, वे दफ्तर जाने की बजाय घर से काम कर रहे हैं। साइबर अपराधी कोविड-19 महामारी का लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं और अब वे मोबाइल फोन के जरिए मैलवेयर, स्पाईवेयर और रैंसमवेयर फैलाने की जुगत में हैं।
मोबाइल फोन से डेटा चोरी होने, उसका गलत इस्तेमाल होने या उसे मिटने/खो जाने से बचाने के लिए हैंडसेट और सभी एप्लिकेशंस (ऐप) को सुरक्षित रखना आवश्यक है।
स्पाईवेयर मोबाइल फोन से नितांत निजी डेटा चुराता है, वहीं रैंसमवेयर यूजर्स के लॉगइन और अन्य चीजों पर नियंत्रण कर लेता है और फिरौती की रकम वसूलने के बाद ही उन्हें इस्तेमाल करने देता है।
1. ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप अपडेट : एजेंसी ने इनसे बचने के लिए सबसे पहले ओएस (ऑपरेटिंग सिस्टम) और ऐप को अपडेट रखने को कहा है।
उसका कहना है कि मोबाइल फोन के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनियां, जैसे... एप्पल का आईओएस, गूगल का एंड्रॉयड और माइक्रासॉफ्ट का विंडोज लगातार सिस्टम को अपडेट करते रहते हैं ताकि यूजर्स सुरक्षित रहें, वे न सिर्फ मौजूदा खतरों से बचाते हैं बल्कि सुरक्षा को और मजबूत भी बनाते हैं।
एडवायजरी में कहा गया है कि सभी ऐप के सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें। अगर ऐप अपडेट नहीं है तो उसका गलत फायदा उठाया जा सकता है, मोबाइल फोन को मैलवेयर से सुरक्षित रखने के लिए ऐप को हमेशा अपडेट रखें।
उसमें कहा गया है कि आप जिन ऐप को इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उन्हें अनइंस्टॉल/डिलिट कर दें। जैसे कि आपने छुट्टियों की योजना बनाने के लिए कोई ऐप डाउनलोड किया था, लेकिन उसकी जरुरत खत्म हो गई है, ऐसे में उसे फोन से हटा दें ताकि उसे बार-बार अपडेट करने की चिंता न सताती रहे।
2. आधिकारिक स्टोर से इंस्टाल करें ऐप : कोशिश करें कि ऐप आप हमेशा अपने मोबाइल हैंडसेट निर्माता या ऑपरेटिंग सिस्टम के आधिकारिक स्टोर से ही डाउनलोड करें।
किसी अज्ञात स्रोत से ऐप डाउनलोड न करें। इन दोनों के अलावा किसी अन्य स्रोत पर उपलब्ध ऐप संभवत: सही न हों और उनमें मैलवेयर होने की आशंका भी होती है।
एजेंसी ने लोगों में लोकप्रिय ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया ऐप के बारे में भी बात की है। ऐप पर सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए साइन-इन करते हुए सतर्क रहें। कुछ ऐप सोशल मीडिया साइटों के साथ जुड़े होते हैं... ऐसे में वे ऐप आपके सोशल मीडिया अकाउंट से सूचनाएं ले सकते हैं। पहले यह देख लें कि ऐप पर साइन-इन करते वक्त आप जिन सूचनाओं को साझा कर रहे हैं, उन्हें लेकर आपको कोई दुविधा तो नहीं है।
3. किसी अज्ञान लिंक को खोलने से बचें : अपने फोन पर धोखाधड़ी-ठगी के प्रयासों पर नजर रखें। एसएमएस और ईमेल पर आए लिंक पर क्लिक करने से पहले, अज्ञात स्रोत से आए अटैचमेंट खोलने से पहले ध्यान दें क्योंकि उसमें खतरा हो सकता है।
4. सेव न करें पासवर्ड : कई ऐप यूजर्स को पासवर्ड सेव करने का विकल्प देती है ताकि उन्हें बार-बार लॉगइन टाइप न करना पड़े। यह गलत तरीका है, अगर मोबाइल फोन चोरी हो जाता है तो ऐसी स्थिति में कोई भी आपकी निजी सूचनाएं देख सकता है, उनका गलत इस्तेमाल कर सकता है।
5. वाई-फाई नेटवर्क में सावधानी : मोबाइल फोन पर सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल साइबर हमलावरों को संवेदनशील डेटा चुराने का अवसर देता है। ऐसे नेटवर्क पर उन ऐप का इस्तेमाल करने से बचें जिनमें लॉगइन आईडी और पासवर्ड की जरुरत होती है। साथ ही जरुरत नहीं होने पर ब्लूटूथ सेटिंग को ऑफ करके रखें।