नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद का मानना है कि कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 की दूसरी लहर से देश के कृषि क्षेत्र पर किसी तरह का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में संक्रमण मई में फैला है, उस समय कृषि से संबंधित गतिविधियां बहुत कम होती हैं।
चंद ने कहा कि अभी सब्सिडी, मूल्य और प्रौद्योगिकी पर भारत की नीति बहुत ज्यादा चावल, गेहूं और गन्ने के पक्ष में झुकी हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में खरीद और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नीतियों को दलहनों के पक्ष में बनाया जाना चाहिए।
नीति आयोग के सदस्य ने कहा, ग्रामीण इलाकों में कोविड-19 संक्रमण मई में फैलना शुरू हुआ था। मई में कृषि गतिविधियां काफी सीमित रहती हैं। विशेष रूप से कृषि जमीन से जुड़ी गतिविधियां। उन्होंने कहा कि मई में किसी फसल की बुवाई और कटाई नहीं होती। सिर्फ कुछ सब्जियों तथा ऑफ सीजन फसलों की खेती होती है।
यह पूछे जाने पर कि भारत अभी तक दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर क्यों नहीं बन पाया है, चंद ने कहा कि सिंचाई के तहत दलहन क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत है। इससे उत्पादन और मूल्य स्थिरता के मोर्चे पर काफी बदलाव आएगा।