वैज्ञानिकों ने 150 कोरोना मरीजों के इम्यून सिस्टम पर की रिसर्च, सामने आया चौंकाने वाला नतीजा

मंगलवार, 8 दिसंबर 2020 (17:23 IST)
लंदन। वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के 150 से अधिक मरीजों में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का आकलन किया और पाया कि श्लेष्मा झिल्ली में पाई गई एंटीबॉडी अन्य की तुलना में काफी पहले सक्रिय हो गई थी। इस नई खोज से महामारी के खिलाफ नया टीका विकसित करने में मदद मिल सकती है।
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श्लेष्मा झिल्ली यानी म्यूकस मेम्ब्रेन शरीर के अंदरूनी हिस्से की ठीक उसी तरह से हिफाजत करती है जैसे शरीर के बाहरी हिस्से की रक्षा त्वचा करती है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक पेरिस स्थित सोरबोन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों सहित अन्य के मुताबिक श्लेष्मा में पाई गई आईजीए एंटीबॉडी आईजीएम और आईजीजी जैसी अन्य एंटीबॉडी की तुलना में जल्द ही प्रभावशाली प्रतिक्रिया देती है। 
 
इस संबंध में साइंस ट्रांजिशनल मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में उन्होंने कहा कि अनुसंधान के ये नतीजे मिलने की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि आईजीएम एंटीबॉडी आमतौर पर प्रतिरक्षा प्रणाली की पहली पंक्ति में मौजूद प्रतिरोधक होती है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने रक्त, लार जैसे शरीर के तरल पदार्थों में एंटीबॉडी प्रतिक्रिया की माप की।
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वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस संक्रमण के लक्षण पहली बार नजर आने के शुरुआती 3-4 हफ्तों में इन तरल पदार्थों में आईजीजी और आईजीएम एंटीबॉडी की तुलना में आईजीए एंटीबॉडी का सकेंद्रण अधिक पाया।
 
वैज्ञानिकों का मानना है कि अनुसंधान के नतीजे ऐसे टीके विकसित करने में मदद कर सकते हैं जो आईजीए प्रतिक्रिया को मजबूत करेंगे और शुरुआती चरण में कोरोनावायरस संक्रमण का आईजीए आधारित जांच से पता लगाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी पाया कि आईजीए एंटीबॉडी सार्स-कोवी-2 को रोकने में आईजीजी एंटीबॉडी की तुलना में कहीं अधिक कारगर है।

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