Life in the time of corona: जब तक इलाज नहीं, तब तक क्यों ज़रूरी है सोशल डिस्टेंसिंग?
गुरुवार, 19 मार्च 2020 (12:26 IST)
एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है, ऐसे में कई देश इस वायरस के वैक्सीन बनाने में लगे हैं, लेकिन तब तक सभी देशों के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ रखने के लिए कहा गया है।
यानी जब तक इसका इलाज नहीं आ जाता, तब तक लोगों को एक दूसरे से दूर रहने, वर्क फ्रॉम होम करने और सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ नहीं बढ़ाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
आइए जानते हैं आखिर क्यों जरुरी है ‘सोशल डिस्टेंसिंग’
ऐसे होता है संक्रमण
दरअसल जब कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैल जाते हैं। इन कणों में कोरोना वायरस के किटाणु मिले होते हैं। जब कोई संक्रमित व्यक्ति नज़दीक आता है तो ये कण सांस के रास्ते आपके शरीर में एंट्री कर सकते हैं। अगर आप किसी ऐसी जगह को छूते हैं, जहां ये कण गिरे हैं और फिर उसके बाद उसी हाथ से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूते हैं तो इसी तरह ये कण आपके शरीर में पहुंच जाते हैं।
इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय और डब्लूएचओ ने लोगों से दूरी बनाकर सोशल डिस्टेंटिंग रखने के लिए कहा है। स्कूल, कॉलेज, जिम, मॉल्स, स्विमिंग पुल, शादी ब्याह, धरना आंदोलन आदि पर इसीलिए रोक लगा दी गई है।
क्यों है कोरोनो वायरस के लक्षण?
इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस उसके फेफड़ों में संक्रमण करता है। इस कारण पहले बुख़ार आता है, उसके बाद सूखी खांसी और साथ ही सांस लेने में दिक्कत हो जाती है।
वायरस के संक्रमण के शुरुआती लक्षण दिखना शुरू होने में औसतन 5 दिन लगते हैं। जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ मरीजों में इसके सिंप्टोम्स काफी बाद में भी देखने को मिल सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार वायरस के शरीर में पहुंचने और लक्षण दिखने के बीच 14 दिनों तक का समय हो सकता है। हालांकि कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ये समय 24 दिनों तक का भी हो सकता है।
बीमार करने से पहले भी हो सकता है संक्रमण
कोरोना वायरस उन लोगों के शरीर से अधिक फैलता है जिनमें इसके संक्रमण हो चुका होता है, लेकिन वैज्ञानिक और डॉक्टरों का कहना है कि दस व्यक्ति को बीमार होने से पहले भी वो ये वायरस किसी दूसरे को ट्रांसफर कर सकता है।