आईएससीई बोर्ड ने जुलाई में 10वीं और 12वीं की लंबित परीक्षाएं कराने की योजना बनाई थी, क्योंकि मार्च में कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के कारण इम्तिहान रद्द कर दिए गए थे। महाराष्ट्र सरकार का विचार है कि मौजूदा परिदृश्य में परीक्षा कराना ठीक नहीं है।
बोर्ड ने सोमवार को उच्च न्यायालय में एक नोट सौंपा, जिसमें कहा गया है कि उसने (भारत और विदेश के) उन सभी विद्यार्थियों को यह विकल्प देने का फैसला किया है कि छात्र लंबित विषयों की परीक्षा जुलाई में दें या आंतरिक मूल्यांकन/प्री बोर्ड के प्रदर्शन के आधार पर निर्धारित अंतिम परिणाम को स्वीकार करें। इसके लिए स्कूलों से नतीजे पहले ही मांग लिए गए हैं।
पीठ ने बोर्ड के फैसले को ध्यान से पढ़ने के बाद मामले की आगे की सुनवाई बुधवार को सूचीबद्ध कर दी।आईएससीई के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में उससे संबंद्ध 226 स्कूल हैं और 10वीं की परीक्षा में 23,347 विद्यार्थियों को बैठना है।(भाषा)