इस बीच, मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ की इंदौर इकाई के मीडिया सचिव शिवाकांत वाजपेयी ने कहा, चंदेले राज्य के पहले वॉर्डबॉय थे जो कोविड-19 वॉर्ड में मरीजों की सेवा करते हुए संक्रमित हुए और उनकी जान इस महामारी के खिलाफ जारी संघर्ष के दौरान गई। इस मामले से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) का इंतजाम करना चाहिए।
वाजपेयी ने यह आरोप भी लगाया कि शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के प्रशासन ने 29 अप्रैल को जारी आदेश में एक अस्पताल के कोविड-19 वॉर्ड में चंदेले की ड्यूटी लगा दी थी, जबकि उस वक्त वे खुद एक मरीज के रूप में इस महामारी से जूझते हुए जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे।
कर्मचारी नेता ने इस कथित गड़बड़ी की जांच की मांग करते हुए कहा, क्या महाविद्यालय प्रशासन को इसकी सुध तक नहीं थी कि चंदेले खुद कोविड-19 की चपेट में आ चुके हैं? अधिकारियों ने बताया कि रेड जोन में शामिल इंदौर जिले में अब तक कोविड-19 के कुल 1545 मरीज मिले हैं जिनमें से 74 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। (भाषा)