बर्मिंघम। इंटरनेट और सोशल मीडिया पर तहलका मचाने वाली टीम इंडिया की 'सुपर फैन' के रूप में 87 वर्षीय चारुलता पटेल ने अपनी बातों और अदाओं से सभी का दिल जीत लिया है। विराट कोहली, रोहित शर्मा समेत टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी एक ही मैच में अपनी दादी की उम्र वाली इस महिला के कायल हो गए और क्रिकेट के प्रति उनके जज्बे को देखकर खुद को उनसे मिलने से नहीं रोक सके।
एक साक्षात्कार में इस 'सुपर फैन' चारुलता ने कहा कि 1983 के जब कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय टीम ने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर पहली बार विश्व कप जीता था, तब मैं भी वहां पर मौजूद थीं। मैं भारत की जीत से बेहद उत्साहित थी और मैदान पर जमकर नाची भी थी।
इंग्लैंड और वेल्स में खेले जा रहे आईसीसी विश्व कप 2019 में भी उनका उत्साह झलक रहा है। रोहित को छक्के पर जब उन्होंने दोनों हाथ उठाकर उन्हें आशीर्वाद दिया तो हर क्रिकेट प्रेमी की आत्मा तृप्त हो गई
अब जबकि इस विश्व कप में टीम इंडिया को अपनी इस सुपर फैन का आशीर्वाद मिल गया है तो माना जा रहा है कि टीम 2019 में एक बार फिर यह खिताब जरूर जीतेगी, क्योंकि बुजुर्गों का आशीर्वाद भगवान का आशीर्वाद माना जाता है।
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की टीम इस समय बेहतरीन फॉर्म में है। कोहली और रोहित के नेतृत्व में बल्लेबाज कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं और गेंदबाज भी पूरी तरह लय में नजर आ रहे हैं।
भारतीय टीम सेमीफाइनल में प्रवेश कर चुकी है और इस मुकाबले को जीतकर फाइनल में प्रवेश के लिए बेताब है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या टीम इंडिया अपनी इस सुपर फैन को जीवन के इस मोड़ पर खिताबी जीत का तोहफा दे पाती है या नहीं?
87 साल की चारुलता ने एक खास मुलाकात में कहा कि क्रिकेट का शौक मुझे मेरे बच्चों के कारण लगा। मेरे दोनों बेटे इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में सरे की तरफ से खेल चुके हैं लेकिन मैं कभी उनके मैच नहीं देखने नहीं गई।
उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता का वास्ता भारत से था। वे दोनों भारतीय थे। वे सालों पहले अफ्रीका में आ गए थे। मेरा जन्म तंजानिया में हुआ। मुझे भारत जाने का कभी मौका नहीं मिला लेकिन मेरे पैरेंट्स की वजह से मुझे भारत से लगाव रहा।
यही कारण है कि मैं 1983 के विश्व कप के फाइनल को देखने के लिए लॉर्ड्स पहुंच गई थी। मैं वहां कपिल देव से भी मिली थी और 2019 में मैं फिर से उन्हें याद दिलाया कि हम मिले थे। मेरी दिली तमन्ना है कि भारत एक बार फिर इंग्लैंड में चैंपियन बने।