मन के कोनों से निकली मार्मिक बातें

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कई बार ऐसा होता है कि हम अपने जीवन की आपाधापी में अपने ही भीतर नहीं झाँक पाते हैं। हमेशा ही किसी बाहरी शोर और बाहरी आकर्षण की चकाचौंध से घिरे होते हैं। हमेशा ही भागते हुए और दौड़ते हुए अपना जीवन बीता देते हैं। और इसीलिए हमें अपने ही भीतर झाँकने की फुरसत नहीं मिलती।

अपने ही भीतर झाँकने का मतलब है, अपनी ही असल दुनिया को महसूस करना। बाहरी शोर में लगातार गुम हो रही अपनी ही धड़कनों को सुनना। और कहने की जरूरत नहीं कि ऐसे मौके कम ही आते हैं जब हम अपने ही करीब जाते हैं और अपनी धड़कनों पर कान देकर उसकी कही बात को सुनने की कोशिश करते हैं।

ब्लॉग की दुनिया की एक खूबी यह है कि इसने सभी को वह सब कुछ लिखने के मौका दे दिया है जो उसके मन में आए दिन घटता रहता है। तमाम तरह के ब्लॉगर अपने मन की बातें बेबाक ढंग से लिखते हैं। इधर एक नया ब्लॉग बना है मन का कोना। इसकी ब्लॉगर है शिखा सिंह। नाम से ही जाहिर है कि इसमें मन को कोने-अंतरों की बातें होंगी।

इसके हैडर पर ब्लॉगर ने लिखा भी है कि यह मन की अनकही बातों का, भावनाओं का कोना है। यहाँ मुख्यतः कविताएँ हैं। बहुत सादी और सरल कविताएँ। मन की तरह, मन की बातों की तरह।

इस पर एक कविता है-सिमरन की मुस्कराहट। यह कविता एक ऐसी लड़की की कहानी कहती है जिसने एक बम धमाके में अपने पिता को खो दिया है और वह अपनी माँ से सवाल कर रही है। माँ चाहती है कि वह डॉक्टर बने। यह कविता बम धमाके बीच मानवीय रिश्ते, यादें और जीवन के सपनों को बयान करती है।

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बहुत ही खूबी से यह कविता मानवीय जिजीविषा की कविता बन जाती है। एक शीर्षकहीन कविता में वे उस दर्द को बयाँ करने कोशिश करती हैं जिसमें सफलता की राह पर चलते हुए अपनों का साथ छूट जाता है। वे इस अनुभव के आलोक में यह संदेश देती हैं कि सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए हमें अपनों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि अपनों का साथ ही जीवन में कुछ मायने रखता है।

अपनी कविताओं के साथ उन्होंने कुछ अच्छे फोटो भी लगाए हैं। ये फोटो कविता का ही अर्थविस्तार करते जान पड़ते हैं। जाहिर है, इनके चयन में सावधानी बरती गई है। इसमें जसवंत सिंह पर भी एक कविता है लेकिन शिखा अपनी मन की बातों को ज्यादा बेहतर ढंग से अभिव्यक्त करती हैं। कहना होगा कि उनके मन का हर कोना बड़ा सुहाना है, आप भी एक नजर देखें।
ये रहा इसका पता-
mannkakona.blogspot.com/

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