क्रिकेट बन रहा है यूरोप में भी मनभावन

राम यादव
गुरुवार, 16 नवंबर 2023 (14:59 IST)
लड़कों के एक खेल के तौर पर इंग्लैंड में क्रिकेट का जन्म आज से 400 वर्ष पहले ही हो गया था। जुलाई 1739 में पहली टीम भी बन गई थी। लेकिन इंग्लैंड को छोड़कर यूरोप के बाक़ी देशों में क्रिकेट कुछ दशक पहले तक अनजान ही रहा।
 
महाद्वीपीय यूरोप के देशों की जनता सदा से फुटबॉल की दीवानी रही है। क्रिकेट का नाम किसी ने यदि सुना भी था, तो तेज़-तर्रार फुटबॉल की तुलना में घंटों चलने वाले इस सुस्त खेल को उच्च वर्ग के लोगों और अमीरों का शौक मानकर नकार दिया। शायद ही कोई जानता है कि यूनान (ग्रीस) के कोर्फू द्वीप पर 200 वर्षों से क्रिकेट खेला जाता रहा है। वहां एक ग्रीक क्रिकेट फ़ेडरेशन भी है, तब भी क्रिकेट आम जनता का खेल नहीं बन पाया। यही स्थिति पूरे यूरोप में बनी रहती, यदि 20-20 ओवरों वाला T20 संस्करण, 50-50 ओवरों वाले एकदिवसीय (ODI) और 5 दिवसीय टेस्ट क्रिकेट का विकल्प नहीं बन गया होता।
 
भारत में आयोजित विश्व कप की पश्चिमी यूरोप के मीडिया में जितनी व्यापक चर्चा इस बार देखने में आई है, वैसी इससे पहले किसी भी विश्व कप के बारे में देखने में नहीं आई थी। भारत में क्रिकेट की अपार लोकप्रियता, उससे होने वाली आय, मुंबई में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की ठीक उसी समय बैठक और उसमें 2028 के ओलंपिक के खेलों में क्रिकेट को भी शामिल करने के निर्णय ने यूरोप के लोगों ही नहीं, सरकारों का भी ध्यान खींचा है।
 
जर्मनी में 170 क्रिकेट क्लब : यूरोप में जर्मनी सबसे अधिक जनसंख्या और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। फ़ुटबॉल ही जर्मनी में भी पूरे वर्ष चलने और सबसे अधिक कमाई देने वाला खेल है। तब भी यदि भारत में क्रिकेट का IPL या कोई दूसरा बड़ा मैच नहीं चल रहा हो, तो जर्मन क्रिकेट टीमों के खेल की लाइव स्ट्रीम देखने वालों की संख्या कभी-कभी लाखों में पहुंच जाती है। 
 
जर्मन क्रिकेट फेडरेशन DCB के प्रबंध निदेशक ब्रायन मेंटल का कहना है कि वे भारतीय उपमहाद्वीप के देशों की बराबरी तो नहीं कर सकते, तब भी अपनी संस्था की उपलब्धियों पर उन्हें गर्व है। उनके गर्व का कारण यह है कि जर्मन क्रिकेट क्लबों की संख्या पिछले 7 वर्षों में 70 से बढ़कर 170 हो गई है। इस वृद्धि में सबसे उल्लेखनीय योगदान जर्मनी के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों का रहा है।
 
जर्मन क्रिकेट क्लबों के अधिकतर खिलाड़ी भारत, अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए आप्रवासी या शरणार्थी हैं। भारतीय मूल के खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट, 'जर्मनों के लिए फ़ुटबॉल से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।' मुंबई में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के इस निर्णय से जर्मनी के क्रिकेट प्रेमी भी कुछ कम उत्साहित नहीं हैं कि 2028 में अमेरिका के लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलंपिक खेलों की सूची में क्रिकेट का भी नाम होगा। इससे पहले सन् 1900 के ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को भी अब तक पहली और अंतिम बार स्थान मिला था।
 
ओलंपिक में क्रिकेट : 125 वर्ष पूर्व के उस समय के क्रिकेट से इतने कम लोग परिचित थे कि बाद के ओलंपिक खेलों में उसे शामिल करना उचित नहीं समझा गया। क्रिकेट के घनघोर प्रेमी ऑस्ट्रेलिया में 2032 में जब ओलंपिक खेल होंगे, तब बहुत संभव है कि वहां लॉस एंजिल्स से भी अधिक धूम मचे।
 
भारत भी अभी से ओलंपिक के लिए कमर कस रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी से कह दिया है कि 2036 के ओलंपिक खेल वे भारत में होते देखना चाहते हैं। भारत ने यदि ऐसा औपचारिक आवेदन किया, तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के लिए भारत की तब तक डेढ़ अरब से भी अधिक जनता की मनोकामना को ठुकराना आसान नहीं होगा।
 
जर्मन क्रिकेट फेडरेशन DCB के प्रबंध निदेशक ब्रायन मेंटल को इन समाचारों से बहुत प्रेरणा मिल रही है। वे कहते हैं कि ओलंपिक का शायद ही ऐसा कोई खेल होगा जिसमें कोई जर्मन खिलाड़ी न दिखे। भारत और भारतीय उपमहाद्वीप के उसके पड़ोसी देशों के शौक ने क्रिकेट को फुटबॉल के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खेल बना दिया है इसलिए जर्मनी भी इस लहर से अछूता नहीं रह सकता।
 
भारतीय बने क्रिकेट-गुरु : ब्रायन मेंटल 20 वर्षों से जर्मनी में रह रहे एक अंग्रेज़ हैं। वे कहते हैं कि 'अंग्रेज़ अपना क्रिकेट भारत ले गए। भारतीयों ने उसे सीखा और अब वे सारी दुनिया को क्रिकेट सिखा रहे हैं। ...भारतीय IPL की आय जर्मन फुटबाल लीग की वार्षिक आय की दोगुनी है।' मेंटल मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की तरह ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) भी समझ गई है कि क्रिकेट तो धुआंधार आय का एक नया बाज़ार है। 
 
इसीलिए अब अमेरिका, ब्राज़ील, चीन और यूरोप में भी क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए पैसा लगाया जा रहा है। जर्मन क्रिकेट फ़ेडरेशन को आशा है कि ओलंपिक खेलों की सूची में क्रिकेट को भी शामिल करने से जर्मन क्रिकेट की तरफ भी लोगों का ध्यान जाएगा और उसका भी विकास होगा। उसके भी मैच टेलीविज़न चैनलों पर प्रसारित होंगे और इससे जर्मन क्रिकेट फ़ेडरेशन को प्रसारण फ़ीस मिलेगी।
 
छोटे-छेटे शहरों में भी क्रिकेट : जर्मनी में इस समय वैसे तो कोलोन, हैम्बर्ग और फ्रैंकफ़र्ट जैसे बड़े शहर क्रिकेट के मुख्य केंद्र हैं। लेकिन अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश या अन्य देशों से आने वाले ढेर सारे शरणार्थियों को पूरे देश में फैलाकर बसाए जाने से छोटे-छेटे शहरों में भी क्रिकेट पहुंचने लगा है। जर्मन क्रिकेट फ़ेडरेशन इन शहरों के खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट के नए, पुराने या दान में मिले किट जुटाता है। नारियल के रेशों से बनी ऐसी चटाइयां बांटता है जिन्हें फुटबॉल के मैदान पर बिछाकर उनका क्रिकेट की 'पिच' की तरह उपयोग किया जा सकता है। पूरे देश में क्रिकेट खेलने लायक 100 से अधिक मैदान बन गए हैं और 10 हज़ार से अधिक खिलाड़ी हैं। 
 
जर्मन क्रिकेट फेडरेशन DCB के प्रबंध निदेशक ब्रायन मेंटल इस संभावना को अभी बहुत दूर की कौड़ी मानते हैं कि 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में जर्मन क्रिकेट टीम भी दिख सकती है। अब तक की योजना के अनुसार वहां 3 घंटे के T20 संस्करण वाली केवल 6 ऐसी टीमें ही खेलेंगी जिन्होंने अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित की होगी। जर्मनी की इस समय की 2 सबसे अच्छी टीमें वैश्विक रैंकिंग में अभी 30वें नंबर पर हैं, भले ही उन्होंने हाल ही में स्पेन में हुई यूरोपियन चैंपियनशिप में आयरलैंड को मात दी है। 
 
भारत चाहता है 2036 का ओलंपिक : लॉस एंजिल्स ओलंपिक के 4 साल बाद 2032 में ऑस्ट्रेलिया में ओलंपिक खेल होंगे। ऑस्ट्रेलिया भी क्रिकेट के दीवानों का देश है इसलिए वहां के ओलंपिक में भी क्रिकेट के लिए संभावना देखी जा रही है। ऐसा ही 2036 में भी हो सकता है, यदि प्रधानमंत्री मोदी की इच्छानुसार तब तक डेढ़ अरब से अधिक की आबादी वाले भारत को भी ओलंपिक खेलों की मेज़बानी मिल जाती है।
 
2032 या 2036 तक यूरोपीय महाद्वीप पर के उन देशों की संख्या और अधिक बढ़ चुकी होगी जिनकी क्रिकेट टीमें भारत जैसे देशों की धुरंधर टीमों से भी लोहा ले रही होंगी। इस समय यूरोप में 34 ऐसे देश हैं जिनके राष्ट्रीय क्रिकेट संघों को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC)की औपचारिक मान्यता मिली हुई है। इन देशों में कुल मिलाकर 400 से अधिक क्रिकेट क्लब हैं। इन क्लबों और क्रिकेट में दिलचस्पी लेने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
 
क्रिकेट दूसरा सबसे बड़ा खेल : अनुमान है कि दुनिया में फुटबॉल के 4 अरब और क्रिकेट के 2.50 अरब दर्शक हैं यानी फुटबॉल के बाद क्रिकेट ही सबसे अधिक खिलाड़ी और दर्शक जुटाने तथा पैसा दिलाने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खेल बन गया है। इसके पीछे मुख्य कारक वे एशियाई और कैरीबियाई लोग हैं, जो नौकरी-धंधे की तलाश में या शरणार्थी बनकर लाखों की संख्या में पिछले 20-25 वर्षों में यूरोप पहुंचे हैं। उनके आने से पहले यूरोप में क्रिकेट केवल इंग्लैंड, आयरलैंड और नीदरलैंड्स तक ही सीमित था।
 
स्पेन इस बदलते हुए परिदृश्य का एक अच्छा उदाहरण है। 1960 में स्पेन की राजधानी मेड्रिड का क्रिकेट क्लब ही वहां एकमात्र मान्यता प्राप्त क्लब था। बाद के 4 दशकों में भी बहुत थोड़े ही नए क्लब बने थे। इस बीच स्पेन के अकेले कतालून्या प्रदेश में ही 30 से अधिक मान्यता प्राप्त क्रिकेट क्लब हैं। कतालून्या की राज्य सरकार ने काफ़ी पैसा लगाकर एक नया क्रिकेट स्टेडियम भी बनवाया है।
 
यूरोप में चलता है T20 क्रिकेट : यूरोपीय दर्शकों के बीच क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ने के पीछे मुख्य कारण T20 वाला उसका सबसे छोटा संस्करण माना जाता है, जो आमतौर पर 3 घंटों में पूरा हो जाता है। यूरोप के लोग डेढ़-दो घंटे से अधिक लंबा कोई खेल देखने के न तो आदी हैं और उनके पास इतना धीरज और समय होता है।
 
मेड्रिड क्रिकेट क्लब के खिलाड़ियों की सूची में 15 देशों के खिलाड़ी हैं। स्पेनी खिलाड़ियों के नाम बस गिने-चुने ही मिलते हैं। वहां ICC द्वारा आयोजित टूर्नामेंट भी होते हैं, पर टेलीविज़न या इंटरनेट पर उन्हें बहुत कम ही दिखाया जाता है। स्पेन ने इस वर्ष पहली बार अपने यहां अखिल यूरोपीय T20 क्रिकेट टूर्नामेंन्ट का आयोजन किया जिसे बहुत सफल बताया जा रहा है।
 
यूरोप के जिन 34 देशों में क्रिकेट खेला जा रहा है, उनमें जर्मनी, स्पेन और फ्रांस जैसे बड़े देशों के अलावा इटली, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे और आइसलैंड जैसे कई पश्चिमी यूरोपीय देशों के नाम गिनाए जा सकते हैं।
 
सन् 1900 का ओलंपिक पेरिस में हुआ था। फ्रांस ने ही उस समय क्रिकेट का पहला रजत पदक जीता था। 1987 में बने फ्रांसीसी क्रिकेट संघ ने इस समय क्रिकेट को वहां के स्कूली बच्चों के बीच लोकप्रिय बनाने का एक अभियान छेड़ रखा है।
 
आइसलैंड में 30 से अधिक टीमें : मात्र पौने 4 लाख की जनसंख्या वाले आइसलैंड में 2012 में क्रिकेट के प्रोत्साहन के लिए एक क्रिकेट बोर्ड बना। इस बीच वहां 30 से अधिक क्रिकेट टीमें हैं और 300 से अधिक पंजीकृत खिलाड़ी हैं। आइसलैंड कई ज्वालामुखियों वाला यूरोप का एक छोटा-सा देश है। सर्दियों में लंबे समय तक बर्फ से ढंका रहता है। क्रिकेट खेलने लायक मौसम वहां बहुत ही छोटा होता है। यह समस्या उत्तरी यूरोप के सभी देशों को झेलनी पड़ती है। उनके यहां न केवल बहुत अधिक बर्फ गिरती है, सर्दियों में दिन भी बहुत छोटे और रातें बहुत लंबी होती हैं।
 
दूसरी ओर, 1990 वाले दशक तक कम्युनिस्ट रहे पूर्वी यूरोप के देश क्रिकेट से अब भी अपरिचित ही कहलाएंगे। कम्युनिस्टों के शासनकाल में वहां की सरकारें केवल उन्हीं खेलों को प्रोत्साहन देती थीं जिनसे ओलंपिक पदक मिल सकते थे। क्रिकेट का नाम ओलंपिक खेलों में होता ही नहीं था इसलिए कम्युनिस्ट सरकारों के लिए वह व्यर्थ का सिरदर्द होता। क्रिकेट के रसिया वे विदेशी आप्रवासी और शरणार्थी, जो आजकल पश्चिमी यूरोप वालों को क्रिकेट सिखा रहे हैं, अतीत में कम्युनिस्ट रहे पूर्वी यूरोप के देशों में रहना-बसना पसंद नहीं करते। पूर्वी यूरोप वालों के लिए क्रिकेट इसलिए भी एक अजूबा है। 
 
IPL बन रही है क्रिकेट का विज्ञापन : इस बीच विशेषकर भारत में IPL की अविश्वसनीय सफलता से प्रभावित होकर यूरोप में भी एक वैसी ही यूरोपीय क्रिकेट लीग (ECL) की स्थापना की गई है। 2018 में इसका विचार आया था ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेटर रह चुके और जर्मनी में बस गए डैनियल वेस्टन, अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ FIFA के रेडियो-टीवी प्रसारण (ब्रॉडकास्टिंग) विभाग के प्रमुख रहे टोमास क्लोत्स और फुटबॉल चैम्पियंस लीग UEFA के जन्मदाताओं में से एक फ्रांक लेन्डर्स को। तीनों सज्जन स्विट्ज़रलैंड में एक-दूसरे से मिले थे। 1 साल बाद 2019 में जर्मनी के म्युनिख शहर में यूरोपीय क्रिकेट लीग (ECL) की स्थापना हुई।
 
डैनियल वेस्टन जर्मनों को क्रिकेट सिखाते थे। यह जानने के लिए कि जर्मनी में लोग क्रिकेट में कितनी दिलचस्पी लेते हैं और उनकी दिलचस्पी कैसे बढ़ाई जा सकती है, वे अपने खिलाड़ियों वाली टीमों के बीच होने वाले मैचों को फ़ेसबुक पर लाइव स्ट्रीम द्वारा दिखाने लगे। उन्होंने फ़ेसबुक पर 'जर्मन क्रिकेट टीवी' नाम का एक पेज बनाया और पाया कि भारत सहित दुनियाभर में हज़ारों, कभी-कभी लाखों लोग उनके वीडियो आदि देखते हैं और नियमित दर्शक के रूप में अपना नाम दर्ज भी करवाते हैं।
 
वार्षिक यूरोपियन चैंपियनशिप : डैनियल वेस्टन अपनी टीमों के साथ जर्मनी और यूरोप में घूमने लगे और अलग-अलग जगहों से क्रिकेट मैचों के अपने वीडियो स्ट्रीम करने लगे। अपनी सफलता से उत्साहित होकर उन्होंने 10-10 ओवरों वाले T10 संस्करण की एक वार्षिक यूरोपियन चैंपियनशिप शुरू की। 2019 में स्पेन में हुई पहली चैंपियनशिप में यूरोप के 8 देशों की 8 टीमें खेलीं। 2020 और 21 की चैंपियनशिप कोविड-19 महामारी की बलि चढ़ गई। 2022 में 30 टीमें खेलीं। विजेता बनी स्पेन की एक टीम।
 
डैनियल वेस्टन का कहना है कि उनका नेटवर्क अपने कैमरों से 900 मैच लाइव स्ट्रीम द्वारा भारत और यूरोप में दिखा चुका है। पूर्व ब्रिटिश क्रिकेटर दिमित्री मस्कैरन्हस और ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज स्पिन गेंदबाज़ दिवंगत शेन वार्न भी उन्हें सहयोग और परामर्श दे चुके हैं। वेस्टन द्वारा स्थापित यूरोपियन क्रिकेट लीग (ECL) से 33 देशों में 400 से अधिक क्रिकेट क्लबों के 6,000 से अधिक खिलाड़ी जुड़ चुके हैं।
 
सोशल मीडिया पर उनके वीडियो क्लिप भारत सहित सारी दुनिया में देखे जाते हैं। उनकी कामना है कि अफ़ग़ानिस्तान से या किसी भी देश से किसी को पलायन न करना पड़े। शरणार्थी न बनना पड़े, पर तथ्य यह भी है कि यूरोप में फैले हुए ऐसे ही कोई 8 लाख शरणार्थी यूरोप के संभावित क्रिकेट खिलाड़ी और फ़ैन भी बन सकते हैं।

Edited by: Ravindra Gupta
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)

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