1. सिंधु नदी का उद्गम: सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बत के गेजी काउंटी में कैलाश के उत्तर-पूर्व से होता है। यह नदी हिमालय की दुर्गम कंदराओं से गुजरती हुई गिलगित और कश्मीर से होती हुई और फिर पाकिस्तान में प्रवेश करती है। पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती हुई यह नदी कराची के दक्षिण में अरब सागर में गिरती है।
2. सिंधु नदी की लंबाई: एक नए शोध के अनुसार सिन्धु नदी करीब 3,600 किलोमीटर लंबी है। इसका क्षेत्रफल 10 लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। इसका अनुमानित वार्षिक प्रवाह लगभग 243 किमी है, जो इसे औसत वार्षिक प्रवाह के मामले में दुनिया की 50 सबसे बड़ी नदियों में से एक बनाता है। हालांकि पहले यह माना जा रहा था कि यह 3,200 किलोमीटर लंबी है।
4. सिंधु की सहायक नदियां: इस नदी के रास्ते में 5 नदियां मिलती है। झेलम, चिनाब, रावी, सतलुज और ब्यास। यानी सिंधु सहित कुल छह नदियां भारत से पाकिस्तान की ओर बहते हुए जाती है।
झेलम: झेलम निकलती है कश्मीर से और फिर जाती है यह पाकिस्तान।
चिनाब: चिनाब निकलती है जम्मू से और फिर जाती है यह पंजाब और पंजाब से पाकिस्तान।
रावी, सतजुल और ब्यास: बाकी तीन यानी रावी, सतलुज और ब्यास नदी हिमाचल से होकर पंजाब जाती है और पंजाब से फिर ये पाकिस्तान जाती है।
कैसे भारत रोक सकता है पानी: भारत चाहे तो इन तीनों नदियों यानी रावी, सतजुल और ब्यास नदी के जल को नहरें बनाकर किधर भी मोड़ सकता है और इस पर डेम भी बना सकता है जो कि बने भी हैं। परंतु सिंधु जल समझौते के तहत वह सिंधु, झेलम और चिनाब पर ऐसा नहीं कर सकता। हालांकि यदि भारत सिंधु जल समझौता तोड़ देता है तो फिर वह कुछ भी कर सकता है। दूसरी ओर रावी, सतलुज और ब्यास, इन तीनों नदियों के पानी को पंजाब में ही रोका जा सकता है। झेलम को मोड़कर यदि चिनाब या रावी, सतजुल और ब्यास नदी में मिला दिया जाए तो सिंधु की जलराशि और भी कम हो सकती है।