इशकरण सिंह भंडारी। आजकल यह नाम काफी चर्चा में है और सोशल मीडिया के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय भी। इशकरण को सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के मामले में चर्चा करते हुए कई न्यूज चैनल्स पर डिबेट करते देखा जा सकता है। वे सुशांत मामले में खुलकर अपनी राय रख रहे हैं। हत्या और आत्महत्या के कानूनी दाव-पेंच और उलझनों पर उनके कई तर्क सोचने लायक होते हैं।
आखिर कौन है इशकरण भंडारी?
इशकरण सिंह भंडारी को अभिनेता सुशांत सिंह मामले में अपना पक्ष रखने की वजह से ही सबसे ज्यादा चर्चा मिली है। वे पूरी तरह से सुशांत और उनके परिवार के पक्ष में खड़े नजर आते हैं। सुशांत के परिवार को न्याय दिलाने के लिए हाल ही में देशभर में एक पब्लिक सेंटिमेंट्स उभरकर सामने आया है। ऐसे में युवाओं में इशकरण काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि वे खुलकर और बेबाक होकर अपनी बात कर रहे हैं।
सुशांत की मौत के बाद उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने डिजिटल अभियान भी चलाया था, जो बेहद लोकप्रिय हुआ था। इसे सोशल मीडिया के बड़े अभियानों में माना जाता है।
इशकरण सिंह के बारे में कुछ तथ्य
इशकरण सिंह भंडारी दरअसल सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। वे सुब्रह्मयणम स्वामी के साथ भी नजर आते हैं। 14 मई 1984 को पैदा हुए इशकरण ने गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल दिल्ली से अपनी पढाई की है। अमिटी लॉ स्कूल से लॉ की डिग्री ली है। जबकि केलिफोर्निया विश्वविद्याल से भी इंटरनेशनल लॉ की डिग्री ली है। भ्रटाचार के मामलों को उजागर करने में उनकी खासी दिलचस्पी रही है। उन्होंने नेशनल हैराल्ड और सुनंदा पुष्कर हत्या के मामले में भी अपना योगदान दिया है।
कहा जाता है कि दिल्ली के निर्भया गैंग रेप मामले में भी इशकरण सिंह याचिकाकर्ता रहे हैं। इन्हीं सब मामलों को लेकर वे अक्सर कई टीवी डिबेट में नजर आते हैं। लेकिन सुशांत मामले में न्याय दिलाने के लिए उनके प्रयास बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं। वे अपना एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, जिसमें हजारों व्यूवर्स के साथ वे इन मामलों की कानूनी पेंचिदगियों पर अपनी बात रखते हैं।
हलाल मामले में लिखी थी चिट्ठी
कुछ ही समय पहले वकील इशकरण सिंह भंडारी ने भोजन पैकेट पर ‘धार्मिक सर्टिफाइड’ का सर्टिफिकेट लगाए जाने की मंजूरी की मांग करते हुए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को एक चिट्ठी भी लिखी थी। 10 मई को भेजी इस चिट्ठी में कहा गया था कि खाने के सामान पर ‘धार्मिक सर्टिफाइड’ का सर्टिफिकेट लगाए जाने की मंजूरी दी जाए।
दरअसल यह ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ के जवाब में मांग की गई थी। इशकरण सिंह का कहना है कि उन्हें हलाल से कोई दिक्कत नहीं है। अगर कोई इसके तहत प्रॉडक्ट यूज करता है, तो यह उसकी मर्जी है। लेकिन सिर्फ हलाल की मोनोपॉली नहीं होनी चाहिए। अगर कोई सिख या हिंदू नॉनवेज खाना चाहता है, तो उसके पास झटका मीट खाने का ऑप्शन नहीं है। मार्केट में हलाल नॉनवेज मिलता है। एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनी भी खाने में हलाल सर्टिफाइड खाना रखती है। मैक्डॉनल्ड भी हलाल खाना यूज करता है, लेकिन हिंदुओं के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है। अगर हलाल सही है, तो धार्मिक सर्टिफाइड फूड भी मिलना चाहिए।