'क्षमा बिंदु की स्वयं से शादी', अब सोशल मीडिया को मिल गया बहस का नया विषय

Webdunia
- अथर्व पंवार
 
गुजरात के वड़ोदरा में रहने वाली क्षमा बिंदु ने स्वयं से शादी की। अर्थात दूल्हा भी वही और दुल्हन भी वही। उनका अपनी ही मांग में सिंदूर भरने का फोटो तेजी से वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर उनके मीम बन रहे हैं। लोग दो धड़ों में बट गए हैं, एक उनका समर्थन कर रहे हैं तो एक उनका विरोध। कुछ लोग इसे चर्चित होने का मीडिया स्टंट बता रहे हैं, तो कुछ इसे मनोरोग। किसी भी धर्म में इस तरह के विवाह का प्रावधान नहीं है, इसीलिए उनका विरोध हो रहा है। वह भारत में इस प्रकार का विवाह करने वाली पहली महिला बन गई है। स्वयं से विवाह करने को Sologemy कहते हैं।
 
क्या है Sologemy ?
सोलोगामी स्वयं से विवाह करने को कहते हैं। इसे ऑटोगेमी या सेल्फ मैरिज भी कहते हैं। इसे करने वालों की माने तो यह स्वयं से प्रेम करने (self love) का एक प्रयास है। इसे कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है पर लोग इसका सार्वजनिक कार्यक्रम करते हैं। वेब सीरीज के माध्यम से इस विषय का लोगों के बीच प्रचार-प्रसार हुआ। रोजाज वेडिंग और आई मी वेड जैसी पाश्चात्य वेब सीरीज इसी विषय पर आधारित है।
लोगों की राय (पक्ष में)-
कई लोग इस कृत्य के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि सभी को अपना जीवन जीने और अपने अधिकारों का उपयोग करने की स्वतंत्रता है। ऐसे में स्वयं से विवाह करना उन्हें उचित लगता है। कई लोग ऐसे भी है जो मानते हैं कि जब किसी के साथ रहने से बनती नहीं है तो अकेले ही रहना चाहिए। कुछ इसको उच्च विचारों से ओतप्रोत कृत्य मान रहे हैं। क्षमा का पक्ष लेने वालों की संख्या बहुत कम है। इसे स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन भी माना जा रहा है।
लोगों की राय (विपक्ष में)-
क्षमा की इस शादी को लोग कुकृत्य मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह समाज के हित का कार्य नहीं है। सोशल मीडिया की बहसों में ऐसे कथन दिखाई पड़ रहे हैं कि जो लोग इसका समर्थन कर रहे हैं क्या वह अपनी बेटी के साथ ऐसा कर सकते हैं?, कुछ का मानना है कि जब अकेले ही रहना था तो यह पब्लिसिटी स्टंट क्यों किया? पहले भी कई लोग अकेले अविवाहित रहते थे, लेकि वे अपनी जिंदगी को ऐसे सार्वजनिक तो नहीं करते थे। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस बारे में काफी मीम भी ट्रेंड में चल रहे हैं।
क्या कारण हो सकते हैं सोलोगेमी के?
सोलोगेमी के पक्षधरों के परिपेक्ष्य से देखें तो जो कारण दिखाई देते हैं वह इस प्रकार है। वह अकेला ज्यादा सहज और प्रसन्न महसूस करते हैं, जो कोई और नहीं दे सकता। जिन्हें किसी और लड़के/लड़की से शादी नहीं करना है या उनकी इच्छा ही नहीं है। परिवार के दबाव में आकर वह यह कदम उठाते हैं। कई लोगों का मानना है कि किसी और के साथ शादी करने से हो सकता है भविष्य बिगड़ जाए तो कुछ ऐसा मानते हैं कि समाज की मान्यताओं से बाहर निकलने का यह एक मार्ग है।
 
सोलोगेमी का सबसे बड़ा कारण यह लगता है लोगों की आत्मीयता और सार्वजनिक जीवन का समाप्त होना। लोग अंतर्मुखी होते जा रहे हैं और उनकी सोशल लाइफ बस सोशल मीडिया तक ही सीमित होती जा रही है। ऐसे में वह इतनी आबादी में भी स्वयं को अकेला महसूस करते हैं। स्वयं के साथ रहते-रहते उन्हें इसकी आदत हो जाती है और एक ऐसी दुनिया (COMFORTZONE) बना लेते हैं जिसमे दूसरे के हस्तक्षेप से वह समझौता नहीं कर पाते हैं। समाज, परिवार, माता-पिता से कटना उन्हें इस और ले जा सकता है।
 
आज के व्यस्त जीवन में बस सभी अपना सोचने में लगे हैं। किसी के विचारों की उथल-पुथल को शांत करने का समय किसी के पास नहीं है, जिससे भविष्य का और जीवन के सूत्र (लाइफ लेसंस) आने वाले पीढ़ी को नहीं मिल रहे हैं। युवाओं के डाउट का समाधान पिछली पीढ़ी नहीं कर पा रही। जिससे ऐसे प्रयोग (सोशल एक्सपेरिमेंट्स) होने लगे हैं।

मनोवैज्ञानिकों का क्या मानना है?
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इसे करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। बचपन के कड़वे अनुभव, अत्यधिक प्रशंसा पाना, पालकों का आधारहीन और गुणवत्ताहीन के पालन-पोषण से व्यक्ति स्वयं से अत्यधिक प्रेम करने लगता है जिसे Narcissistic personality disorder कहा जाता है। हम स्वयं को आसानी से माफ कर सकते हैं और अपने जख्मों को अपनी अंतरात्मा द्वारा ही सहानुभूति दी जा सकती है। इसलिए लोग फिर अकेले ही जीवन बिताना उचित समझते हैं। भरभराते संबंधों को भी इसका एक प्रमुख कारण माना जाना चाहिए।
 
इस विवाद, संदेह, शंका, निर्णय और तर्क का समाधान उचित संवाद से ही हो सकता है। जिसकी आने वाली पीढ़ी को अत्यंत आवश्यकता है।

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