भारत में संसदीय चैनल की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। हम विश्व के उन चुनिंदा खुशकिस्मत लोकतांत्रिक देशों में से हैं जिनका अपना संसदीय टीवी चैनल है, जो लोकतंत्र की नींव को और मजबूत करने का प्रयास कर रहा है। लोकसभा टीवी की शुरुआत को 12 वर्ष बीत चुके हैं। इसके नक्शेकदम पर राज्यसभा टीवी की भी शुरुआत हुई, जो कामयाबी की मिसाल बन चुका है।
यह बात सत्य है कि लोकसभा टीवी को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का ब्रेन चाइल्ड कहा जाता है किंतु वर्तमान लोकसभाध्यक्ष के अथक प्रयासों का नतीजा है कि लोकसभा टीवी आज लोकप्रियता की दौड़ में शामिल है और ये सस्ती या स्तरहीन लोकप्रियता या मनोरंजन नहीं बल्कि ज्ञान-विज्ञान समाज का अदुभुत सम्मिश्रण है। मुझे ये कहने में हिचक नहीं कि शुरुआती दौर में थोड़े उबाऊ और स्टूडियो के कार्यक्रमों की भरमार थी। सीमित लोग और सोच का सीमित दायरा था लेकिन इन सबके बावजूद लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप इसकी निष्पक्षता इसकी रीढ़ बनी।
आज लोकसभा टीवी के इतिहास में एक और तारीख दर्ज हो जाएगी, क्योंकि अब ये भी मोबाइल के युग में प्रवेश कर गया है। चूंकि लंबे समय से दर्शक ये मांग रख रहे थे कि लोकसभा टीवी का भी एक मोबाइल प्लेटफॉर्म हो, जहां वो जब चाहे, तब कार्यक्रम देख सकें। यूट्यूब पर लंबे समय से कार्यक्रम देखे जा रहे थे, अपलोड भी हो रहा था लेकिन थोड़ा कठिन था, चुनौती थी कार्यक्रम को ढूंढने की।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आज लोकसभा टीवी के मोबाइल ऐप और नई वेबसाइट का लोकार्पण किया और उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि लोकसभा टीवी समयानुकूल काम कर रहा है और हर काम को आकर्षक तरीके से पेश करना अच्छा है। आज मनुष्य की मानसिकता यह है कि मैं जब चाहूं तब वो चीज मिलनी चाहिए और मोबाइल वही सुविधा प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि अब ऐप के माध्यम से कहीं भी, कभी भी लोकसभा की कार्यवाही और उसके कार्यक्रमों को मोबाइल पर देखा जा सकता है। समय के साथ परिवर्तन की जरूरत पर बल देते हुए सुमित्राजी ने कहा कि मोबाइल ऐप और वेबसाइट परिवर्तनशील होते हैं और उसमें बदलाव होते रहना चाहिए। वेबसाइट के बारे में उन्होंने कहा कि स्क्रॉल फॉर्मेट में होने की वजह से वेबसाइट को देखना आसान होगा और इसके फॉन्ट भी आकर्षक हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल का अलग कॉर्नर रखने की प्रशंसा करते हुए बताया कि संसदीय कार्यवाही में प्रश्नकाल अत्यंत मत्वपूर्ण होता है, जहां पूरी तैयारी के साथ सांसद को सवाल और मंत्री को जवाब देना पड़ता है। जरूरी नहीं कि सवाल उनके निजी सचिव ने तैयार किया हो। मगर जब अनुपूरक सवाल पूछे जाते हैं तब प्रश्न पूछने वाले सांसद की तैयारियों का पता चलता है इसलिए प्रश्नकाल से जुड़े सभी लोग अभ्यास करके वहां बैठते हैं। साथ ही लोकसभा टीवी की टीम और सचिवालय का भी धन्यवाद करते हुए उन्होंने कहा कि आप सभी की मिली-जुली कोशिशों का ही नतीजा है कि लोकसभा टीवी प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने बहुत बारीकी से इस ऐप और वेबसाइट के बारे में जानने-समझने की कोशिश की।
लोकसभा टीवी के मुख्य कार्यकारी आशीष जोशी ने कहा कि टीवी का मोबाइल ऐप काफी यूजर फ्रैंडली है तथा मोबाइल में काफी कम जगह लेते हुए तुरंत इंस्टाल हो जाता है। मोबाइल ऐप के माध्यम से लोकसभा टीवी का सजीव प्रसारण मोबाइल हैंडसेट पर देखा जा सकता है। ऐप को काफी हल्का और तकनीकी रूप से सरल रखा गया है।
गौरतलब है कि लोकसभा टीवी के इतिहास में पहली बार लोकसभा अध्यक्ष के मार्गदर्शन में एक ऐतिहासिक सीरियल 'सुराज संहिता' भी जल्द ही प्रसारित होने वाला है जिसमें भारत में गणतंत्र के विभिन्न अध्यायों और आयामों के बारे में बड़ी बारीकी से दिखाया गया है जिसका निर्देशन प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक चन्द्रप्रकाश द्विवेदी कर रहे हैं। लोकसभा टीवी ने इस सीरियल का भव्य पैमाने पर निर्माण करवाया है।
इस ऐप पर भारत के आमजन लोकसभा टीवी के कार्यक्रमों के बारे में अपने विचार भी भेज सकते हैं। इसी तरह लोकसभा टीवी की वेबसाइट भी यूजर फ्रेंडली बनाई गई है। वेबसाइट के होमपेज पर लोकसभा टीवी को लाइव देखा जा सकता है। इसके अलावा माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा स्पीकर के भाषण को देखा और सुना जा सकता है। लोकसभा टीवी के ऐप को अब आपके द्वारा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।