''एक पनडुब्बी में तमाम हथियार और दस्तावेज लेकर वह व्यक्ति इटली के तट पहुंचेगा और युद्ध शुरू करेगा। उसका काफिला बहुत दूर से इतालवी तट तक आएगा।'' (11-5)- नास्त्रेदमस।
नास्त्रेदमस (Nostradamus) फ्रांस के एक भविष्यवक्ता थे। उनका जन्म 16वीं सदी के प्रारंभ में फ्रांस के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने प्राकृतिक, राजनीतिक और धार्मिक घटनाओं संबंधी कई भविष्यवाणी की है। उनकी बहुत सी भविष्यवाणी को सच होने का दाव भी किया जाता रहा है। 16वीं सदी के इस भविष्यवक्ता की कथित भविष्यवाणियां बीसवीं शताब्दी के आम लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गईं हैं।
नास्त्रेदमस ने तृतीय विश्वयुद्ध और जन्म लेने वाले महान राजनेताओं के बारे में भी बहुत कुछ लिखा है। उन्होंने अमेरिका, जर्मन, ब्रिटेन, रूस, चीन और भारत में महान राजनेताओं के उदय और उनके कार्यों के संबंध में भविष्यवाणियां की है। जहां तक सवाल है तृतीय विश्व युद्ध का इसके बार में व्याख्याकारों में मतभेद हैं।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों के प्रमुख व्याख्याकार रेने नूरबरेजन (Rene Noorbergen) ने यह सिद्ध किया कि तृतीय विश्व युद्ध में कमजोर राजनीतिक नेतृत्व के चलते भारत युद्ध भूमि बन जाएगा। लेकिन भारतीय व्याख्याकार ऐसा नहीं मानते। उनके अनुसार भारत 21वीं सदी में विश्व की शक्ति बन जाएगा। इसके लिए उन्होंने नास्त्रेदम की कई भविष्यवाणियों का उदाहरण दिया है।
गौरतलब है कि ज्यादातर व्याखाकर खुद के देश के संबंध में अच्छी ही भविष्यवाणियों का पक्ष लेते रहे हैं। जर्मनी ने दूसरे विश्वयुद्ध में नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को अपने हित में इस्तेमाल किया था।
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नूरबरजेन के अनुसार तृतीय विश्वयुद्ध दक्षिण-पश्चिम एशिया में जब पश्चिमी देशों की संयुक्त सेना अभियान शुरू करेगी तो मध्यपूर्वी सैनिक उपनिवेशों के पास गंगा नदी के मुहाने पर और खाड़ी के आसपास संघर्ष होगा।...हो सकता है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर भारत की सीमा में घुसपैठ कर गंगा नदी के मुहाने तक पहुंच जाएं।
तृतीय विश्व युद्ध के संदर्भ में नास्त्रेदमस लिखते हैं, 'अनीश्वरवादी और ईश्वरवादियों के बीच संघर्ष होगा।'- (6-62)। चीन का धर्म और वहां की सरकार अनीश्वरवादी ही है।
हाल ही में चीन द्वारा पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल से घनिष्ठता बढ़ाकर भारत की घेराबंदी करना इस बात की सूचना है कि चीन के इरादे नेक नहीं है और हमारे राजनेता कुंभकर्ण की नींद में हैं।
आगे पढ़ें और खुद ही सोचे की इस भविष्यवाणी के क्या अर्थ निकलते हैं...
'एक सेनापति उत्सुकतावश पीछे भागती दुश्मन सेना की फौज का पीछा करेगा। वह उसके बचाव चक्र को भेदता हुआ, अंत: उन्हें रोक देगा। वे पैदल भांगेंगे, मगर उनसे अधिक दूर नहीं होगा वह। अंतिम जंग गंगा (ganges) के किनारे होगी।'' (iv-51)
गंगेज नाम से फ्रांस का एक कस्बा भी है लेकिन 'किनारे' शब्द का इस्तेमाल तो किसी नदी के लिए ही होता है। इसीलिए व्याख्याकार इसे भारत के संदर्भ में लिखी गई भविष्यवाणी मानते हैं।
आगली सूत्र से यह और स्पष्ट हो जाता है...
''भारत, फ्रांस, जोर्डन आजाद कराएं जाएंगे। निर्दयी शक्तियों का सुदूर पूर्व में विनाश होगा। गंगा, जोर्डन, फ्रांस और स्पेन को हड़पने वाला साम्राज्य खत्म हो जाएगा। समुद्र में खून और लाशें तैरती दिखेंगी।''
अगले पन्ने पर आसमान से नीचे गिरेगी तब एक भयानक आग...
''एक मील व्यास का एक गोलाकार पर्वत अंतरिक्ष से गिरेगा और महान देशों को समुद्री पानी में डूबो देगा। यह घटना तब होगी जब शांति को हटाकर युद्ध, महामारी और बाढ़ का दबदबा होगा। इस उल्का द्वारा कई प्राचीन अस्तित्व वाले महान राष्ट्र डूब जाएंगे।''
समीक्षक और व्याख्याकार इस उल्का के गिरने का केंद्र हिंद महासागर मानते हैं। ऐसे में मालद्वीप, बुनेई, न्यूगिना, फिलिपींस, कंबोडिया, थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका के तटवर्ती राष्ट्र तथा अरब सागर से लगे राष्ट्र डूब से प्रभावित होंगे।
यहां सवाल यह है कि भारत जैसे समर्थ देश के तृतीय विश्वयुद्ध में कमजोर होने की संभावना किस तरह है? इसके दो कारण हो सकते हैं- पहला राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी और दूसरा आंतरिक कारणों में उलझे रहने वाले भारत का अपनी सीमा की ओर कभी ध्यान नहीं दे पाना।