22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद जब भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाया तब भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे दौर पर आपने सामने की लड़ाई प्रारंभ हो गई थी। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकवादी ठिकानों सहित कई एयर बेस तबाह कर दिए थे। उसके एयर डिफेंस सिस्टम को भी उड़ा दिया गया था। 2 फाइटर जेट भी डाउन किए थे और अंत में पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया था जिसके चलते वह अमेरिका से सीजफायर की गुहार लगाने लगा। अंत में भारत और पाकिस्तान के DGMO ने मिलकर अचानक से 10 मई को सीजफायर का ऐलान कर दिया गया। पाकिस्तान अब अपनी कमजोर स्थिति को समझ गया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को तुर्की और चीन की पूरी मदद मिली और अब उसने चीन से हथियारों और जेट विमान की डील पक्की कर ली है। ALSO READ: 14 मई से 7 अक्टूबर के बीच क्या फिर से शुरू हो सकता है भारत पाकिस्तान युद्ध?
सीजफायर के बाद पाकिस्तान हो गया मजबूत: भारत उस दौरान अपनी शक्ति में था और पाकिस्तान कमजोर स्थिति में था। ऐसे में भारत को अभी कम से कम 10 दिनों तक और युद्ध लड़ते हुए पाकिस्तान की शक्ति को और भी ज्यादा डैमेज किया जा सकता था जिसके चलते वह कुछ सालों तक युद्ध लड़ने के बारे में सोचता भी नहीं परंतु सीजफायर के बाद अब परिस्थिति बदल गई है। उस वक्त सारी राजनीतिक परिस्थितियां भारत के पक्ष में थी। भातर युद्ध करता तो दुनिया का सारा ध्यान भारत और पाकिस्तान के युद्ध पर होता और तब इजराइल या अमेरिका के लिए शायद ईरान पर हमले की रणनीति में बदलाव हो जाता। लेकिन सीजफायर के बाद अब परिस्थितियां बदल गई है। पहली तो यह की इसके चलते पीएम नरेंद्र मोदी की छवि को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान हुआ है। दूसरा यह कि पाकिस्तान को अमेरिका का पूर्ण समर्थन मिल गया है और तीसरा यह कि ईरान और इजरायल युद्ध के बाद भारत के लिए सभी देशों की नीति में परिवर्तन आ गया है। ऑपरेशन सिंदूर से ही पता चल गया था कि भारत के साथ कौनसे देश हैं। पाकिस्तान से युद्ध होता है तो चीन, उत्तर कोरिया, अमेरिका, तुर्की, बांग्लादेश, अजरबैजान सहित सभी मुस्लिम राष्ट्र भारत के साथ खड़े नहीं हो सकते हैं। ईरान की कोई गारंटी नहीं है।
बढ़ने वाली है पाकिस्तान की सैन्य ताकत:
1. रक्षा बजट: वित्तीय वर्ष 2025‑26 के लिए पाकिस्तान ने अपनी रक्षा व्यय को करीब 20% बढ़ाकर 2.55 ट्रिलियन पाकिस्तान रुपए (~9 अरब डॉलर) किया, जबकि समग्र बजट में लगभग 7% की कटौती हुई। यह वृद्धि रक्षा व्यय को देश के कुल बजट का लगभग 14.5% और GDP का लगभग 2% बना देती है।
2. लड़ाकू विमान: पाकिस्तान के पास 81% सैन्य हार्डवेयर चीनी हैं। चीन से पाकिस्तान को 5th जनरेशन का जेट लड़ाकू यान मिलने वाला है। पाकिस्तान अब चीन से 40 VT-4 टैंक मंगाकर अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। उसने इमरजेंसी ऑर्डर दिया है। VT-4 चीन का तीसरी पीढ़ी का उन्नत मेन बैटल टैंक है।
पाकिस्तान वायुसेना भी खुद को अपग्रेड करने की दिशा में बढ़ रही है, जिसमें चीन से 40 जे-35 (FC‑31) पांचवी जनरेशन के स्टील्थ लड़ाकू विमानों की संभावित खरीद शामिल है। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, जे-35 लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ जेट हैं, जो पाकिस्तान के पुराने होते अमेरिकी F-16 और फ्रांसीसी मिराज विमानों की जगह लेंगे।
3. ड्रोन और मिसाइल: पाकिस्तान अब अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने में लगा है और उसने इसके लिए अपने सहयोगी देशों से मदद मांगी है। तुर्किए से मिसाइल सिस्टम और निगरानी ड्रोन भी हासिल किए हैं।
4. पाक नौसेना: पाकिस्तान अगले दशक तक अपनी नौसेना को 50 जहाजों के बेड़े में बदलने की योजना बना रहा है, जिसमें 20 प्रमुख युद्धपोत शामिल होंगे। इसकी योजना चीन, तुर्की और रोमानिया के साथ साझेदारी पर आधारित है। पाकिस्तान चीन से एडवांस हैंगोर-क्लास पनडुब्बियां, तुर्किए से मिलगेम-क्लास कोरवेट और पहली बार स्वदेशी जिन्ना-क्लास फ्रिगेट्स हासिल करने जा रहा है। ये नई तकनीक पाकिस्तान की समुद्री सुरक्षा और निगरानी क्षमता को काफी बढ़ावा देंगे।ALSO READ: भविष्यवाणी: 7 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच बचकर रहें, विमान से संबंधित घटना के बन रहे हैं योग
5. कूटनीति: जनरल असीम मुनीर ने हाल ही में अमेरिका का दौरा किया, जहां उन्होंने कुछ विशेष, रणनीतिक और आर्थिक सौदे पर वार्ता की। उसने बलूचिस्तान, खैबर पख्तून और पीओके के साथ ही भारतीय कश्मीर को लेकर चर्चा की है। पाकिस्तान ने चीन और बांग्लादेश के साथ मिलकर साका (South Asia-China Alliance) नाम से एक क्षेत्रीय गठबंधन की नींव रख दी है। भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को अब तक विभिन्न स्रोतों से भारी मात्रा में विदेशी ऋण मिल चुका है। इसी वर्ष चीन, आईएमएफ, यूएई, विश्व बैंक सहित कई संस्थाओं से उसे बिलियन डॉलर में ऋण देने की मंजूरी मिली है।
भारत को करना होंगे 5 काम वर्ना...
1. मजबूत वायु रक्षा प्रणाली: अब भारत को अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और भी ज्यादा मजबूत करना होगा। जैसा कि हाल ही में देखा गया कि किस तरह ईरान की मिसाइलों ने इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त कर दिया था। भारत का एयर डिफेंस सिस्टम लड़ाकू विमान, मिसाइल, ड्रोन और अन्य हवाई खतरों को समय पर पहचान कर उन्हें नष्ट करने के लिए भले ही 4 लेयर में सक्षम हो लेकिन उसे सुपरसोनिक मिसाइलों से बचने के लिए भी तैयार करना होगा। पहले से कहीं ज्यादा यह सिस्टम कई जगहों पर लगाना होंगे। भारत के पास वर्तमान में S‑400 ट्रायम्फ, बराक‑8, आकाश सैम, क्यूआर-एसएएम, एक्सआरएसएएम, स्पाइडर है। लेकिन अब उसे जल्द से जल्द नासाएमएस-II के अलावा स्वदेशी रडार सिस्टम को भी अपग्रेड करना होगा। अब रडार और उपग्रह निगरानी प्रणाली को बढ़ाने के साथ ही एयर डिफेंस सिस्टम की लेयर बढ़ाना और इसकी अधिक संख्या में तैनाती सुनिश्चित करना चाहिए।
2. रक्षा उपकरण: भारत को बहुत तेजी से थल, वायु और नौसेना में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली, ड्रोन, AI आधारित निगरानी तंत्र, साइबर डिफेंस आदि की जरूरतों की आपूर्ति पर तेजी से काम करना होगा। स्वदेशी हथियार निर्माण पर बल देना होगा ताकि आपातकाल में विदेशों पर निर्भर न रहना पड़े। थल सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए AI, ड्रोन, लेज़र हथियार और रोबोटिक तकनीक का उपयोग के लिए जरूरी उपकरणों की तय समय तक आपूर्ति की जानी चाहिए। मेक इन इंडिया के तहत टैंक, मिसाइल, युद्धपोत इत्यादि का घरेलू निर्माण तेज करना चाहिए।
3. साइबर डिफेंस: युद्ध काल के पहले ही भारत को साइबर युद्ध के लिए अपनी तैयारी को पुख्ता करना होगा। भारत को साइबर सुरक्षा में निवेश करना चाहिए, क्योंकि भविष्य के युद्ध में नेटवर्क, ऊर्जा ग्रिड, बैंकों पर साइबर अटैक आदि क्षेत्र में यह आम बात होगी। बैंकिंग, रेलवे, संचार और रक्षा संस्थानों को साइबर अटैक से सुरक्षित रखने हेतु विशेष तंत्र स्थापित करना होगा। हैकिंग, डेटा चोरी और भ्रामक प्रचार (Fake News) के विरुद्ध नीति बनाना होगी।
4. स्पेस डिफेंस:ISRO और DRDO को मिलकर उपग्रह-रोधी हथियार (ASAT) व अंतरिक्ष निगरानी क्षमताओं को विकसित करना होगा। इसके लिए बहुत तेजी से समन्वय बिठाकर काम करना होगा। इसी के साथ ही भारत को अपने सैटेलाइट और संचार प्रणाली की सुरक्षा को पुख्ता करना होगा। एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (ASAT) के उत्पादन को भी बढ़ाना होगा। गौरतलब है कि 2019 में, भारत ने "मिशन शक्ति" नामक एक ASAT परीक्षण सफलतापूर्वक किया था। ये मिसाइल अंतरिक्ष में उपग्रहों को नष्ट करने या निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
5. आपदा प्रबंधन: भारत के आंतरिक हालात अन्य देशी की अपेक्षा संवेदनशील है। इसलिए सिविल डिफेंस का नेटवर्क खड़ा करना होगा। आम नागरिकों के लिए प्रशिक्षण, शरणस्थल निर्माण, बंकर, रासायनिक हमलों से बचाव के संसाधन, खाद्य भंडारण, आपात स्वास्थ्य सेवाएं आदि की व्यवस्था करना होगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, जल स्रोतों और सिंचाई नेटवर्क की रक्षा करना, कृषि को न्यूनतम निर्भरता वाली बनाना आदि। दूसरा यह कि युद्धकालीन स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए हॉस्पिटल नेटवर्क, फार्मा उत्पादन और मेडिकल स्टाफ की तैयारी रखना होगी। तीसरा यह कि भ्रामक सूचना से बचने के लिए विश्वसनीय सरकारी सूचना प्रणाली विकसित करना। देशभक्ति को उन्मादी न बनाकर विवेकपूर्ण और एकजुटता में बदलना, डिजिटल मीडिया में अफवाह और दुष्प्रचार रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाना भी जरूरी है। मोबाइल अस्पताल, मेडिकल आपूर्ति भंडारण और चिकित्सकों की विशेष टीम गठित करना चाहिए। सरकारी सूचना प्रणाली को मजबूत बनाना ताकि झूठी खबरों पर लगाम लग सके। समाज में साम्प्रदायिक एकता, अफवाहों से बचाव और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना होगा।