आध्यात्मिक मार्गदर्शन पर ध्यान केंद्रित करें : यह समय है कि संत और कथावाचक अपने मूल दायित्व, आध्यात्मिक मार्गदर्शन पर ध्यान केंद्रित करें। उन्हें ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो किसी भी वर्ग, विशेषकर महिलाओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं या उनकी स्वतंत्रता पर सवाल उठाएं। समाज में विकृतियां हैं, लेकिन उनका समाधान आध्यात्मिक उत्थान, नैतिक शिक्षा और प्रेम व सद्भाव के प्रसार से होगा, न कि किसी एक को निशाना बनाकर। 'जरा बच के कहना आज के समय में हर सार्वजनिक व्यक्ति, खासकर आध्यात्मिक गुरुओं के लिए प्रासंगिक है, ताकि उनकी वाणी सचमुच मार्गदर्शक बन सके, प्रहार नहीं।