Guru Nanak Dev : प्रतिवर्ष सिख धर्म के संस्थापक तथा सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की पुण्यतिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 सितंबर को थी। वे सन् 1539 ईस्वी में 22 सितंबर के दिन ही ज्योति जोत में समा गए थे। और वर्ष 2024 में तिथिनुसार उनकी पुण्यतिथि आश्विन कृष्ण दशमी तिथि के दिन भी मनाई जा रही है, जो कि 27 सितंबर को पड़ रही है।
1. जीवन परिचय : गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक है। उनका जन्म सन् 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन तलवंडी नामक गांव में हुआ था। वे बचपन से ही अध्यात्म एवं भक्ति की तरफ आकर्षित थे। गुरु नानक देव जी ने ऐसे विकट समय में जन्म लिया था, जब भारत में कोई केंद्रीय संगठित शक्ति नहीं होने के कारण विदेशी भारत देश को लूटने में लगे थे। धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैले हुए थे। ऐसे समय में गुरु नानक सिख धर्म के एक महान दार्शनिक, विचारक साबित हुए।
2. बालपण में चमत्कार : बचपन में जब उन्हें चरवाहे का काम सौंपा गया तो वे पशुओं को चराते समय वे कई घंटों ध्यान में लीन रहते थे। एक दिन उनके मवेशियों ने पड़ोसियों की फसल को बर्बाद कर दिया तो उनको पिता ने उनको खूब डांटा। जब गांव का मुखिया राय बुल्लर वो फसल देखने गया तो फसल एकदम सही-सलामत थी। यही से उनके चमत्कार शुरू हो गए और इसके बाद वे संत बन गए। नानक देव जी स्थानीय भाषा, पारसी और अरबी भाषा में पारंगत थे।
3. नानक देव के उल्लेखनीय कार्य : गुरु नानक देव जी धर्मगुरु, ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि, राष्ट्रप्रेम, एकता और शांति के प्रेरक, महान महापुरुष तथा सिख पंथ के प्रथम गुरु एवं संस्थापक थे। जब समाज में पाखंड, अंधविश्वास व कई असामाजिक कुरीतियां सिर उठा कर खड़ी थीं, हर तरफ असमानता, छुआछूत व अराजकता का वातावरण जोरों पर था, ऐसे नाजुक समय में गुरु नानक देव ने आध्यात्मिक चेतना जाग्रत करके समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए कार्य किया।
4. सिख धर्म की स्थापना: गुरु नानक देव ने जहां सिख धर्म की स्थापना की, वही उदारवादी दृष्टिकोण से सभी धर्मों की अच्छाइयों को भी समाहित किया। उन्होंने अपने समय के भारतीय समाज में व्याप्त कुप्रथाओं, अंधविश्वासों, पुरानी रूढ़ियों और पाखंडों को दूर करते हुए प्रेम, सेवा, परिश्रम, परोपकार और भाईचारे की दृढ़ नींव पर सिख धर्म की स्थापना की। उनका मुख्य उपदेश था कि, ईश्वर एक है, हिन्दू मुसलमान सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं और ईश्वर के लिए सभी समान हैं और उसी ने सबको बनाया है। नानक ने 7,500 पंक्तियों की एक कविता लिखी थी जिसे बाद में गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल कर लिया गया।
5. निधन : उनके व्यक्तित्व में दार्शनिक, धर्म तथा समाज सुधारक, कवि, योगी, गृहस्थ, देशभक्त और विश्वबंधु के समस्त गुण मिलते हैं। गुरु नानक देव जी ने उपदेशों को अपने जीवन में अमल किया और चारों ओर धर्म का प्रचार कर स्वयं एक आदर्श बने। उन्होंने सामाजिक सद्भाव की मिसाल कायम की और मानवता का सच्चा संदेश दिया। उन्होंने करतारपुर नामक एक नगर बसाया, जो कि अब पाकिस्तान में है। जहां उन्होंने गुरुद्वारा दरबार साहिब और बड़ी धर्मशाला बनवाई थीं और इसी स्थान पर आश्विन कृष्ण दशमी संवत् 1597, 22 सितंबर 1539 ईस्वी को गुरु नानक देव जी ज्योति जोत में समा गए थे। तत्पश्चात गुरु अंगद देव को उनका उत्तराधिकारी बनाया गया था।
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