उन्होंने कहा, 'वह कभी सामने नहीं आईं लेकिन वह हमेशा साथ थीं। यदि वह साथ नहीं होती तो मेरे लिए कुछ भी हासिल करना संभव नहीं होता।' केजरीवाल अक्सर बड़ी आत्मीयता के साथ उस दिन को याद करते हैं जब उन्होंने सुनीता के समक्ष अपना प्रेम प्रस्ताव रखा था, 'एक दिन अकादमी में मैंने उनके दरवाजे पर दस्तक दी और उनके सामने प्रेम प्रस्ताव रख दिया। उन्होंने कहा , हां।'