दिल्ली में कांग्रेस को तीसरी बार सत्ता दिला कर हैट्रिक बनाने वाली शीला दीक्षित को बुधवार को पार्टी विधायक दल का नेता चुन लिया गया।
इसी के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में मुख्यमंत्री के तौर पर शीला दीक्षित की तीसरी पारी की राह प्रशस्त हो गई। उन्हें दोपहर में 42 विधायकों की एक बैठक में दल की नेता चुना गया। बैठक में कांग्रेस महासचिव मोहसिना किदवई वित्त राज्यमंत्री पीके बंसल दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल तथा अन्य नेता मौजूद थे।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में एक प्रस्ताव रखा गया, जिसमें कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने का जिम्मा पार्टी प्रमुख सोनिया गाँधी पर छोड़ा गया था। सभी विधायकों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
उन्होंने बताया मोहसिना किदवई ने सोनिया से संपर्क किया। ऐसा प्रतीत होता है कि सोनिया ने कांग्रेस महासचिव को अपनी इच्छा से अवगत कराया, जिसके बाद शीला दीक्षित आम सहमति से विधायक दल की नेता चुन ली गईं।
उत्साहित शीला दीक्षित ने कहा आज मैं बहुत खुश हूँ। वर्ष 2003 में एक सप्ताह तक चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद शीला मुख्यमंत्री बनी थीं। इस बार केवल 90 मिनट की बैठक में ही वह विधायक दल की नेता चुन ली गईं।
सत्ता विरोधी लहर और भाजपा के मुख्य चुनावी मुद्दे आतंकवाद के जवाब में विकास और बेहतर प्रशासन को मुद्दा बनाने वाली शीला ने अपनी पार्टी को लगातार तीसरी बार सत्ता दिलाने में सफलता हासिल की है।
कांग्रेस ने हालाँकि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया था, लेकिन पार्टी ने प्रचार के दौरान स्पष्ट संकेत दे दिया था कि अगर वह सत्ता में आई तो शीला दीक्षित तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगी।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 42 और भाजपा को 23 सीटें हासिल हुई हैं। सत्ता विरोधी लहर के बीच ऐसा लग रहा था कि मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों का असर कांग्रेस के मतों पर पड़ेगा।