- अजय पांडेय, नई दिल्ली। दस जनपथ का करीबी होने का खम दिल्ली के सभी कांग्रेसी भरते हैं। लेकिन बुधवार को साफ हो गया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी का हाथ दरअसल शीला दीक्षित के ही साथ है।
श्रीमती दीक्षित को लगातार तीसरी बार दिल्ली की बागडोर सौंपकर श्रीमती गाँधी ने दिल्ली की जनता के फैसले का सम्मान तो किया ही है, गुटबाजी करने वाले नेताओं को भी साफ संकेत दे दिया है कि श्रीमती दीक्षित उनकी खास पसंद हैं।
मुख्यमंत्री पद का फैसला हो जाने के बाद माना जा रहा है कि दिल्ली के नए मंत्रिमंडल का फैसला भी दस जनपथ में ही होगा। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद बुधवार को श्रीमती दीक्षित ने श्रीमती गाँधी से जाकर मुलाकात भी की। मंत्रिमंडल के गठन को लेकर यह मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राजधानी की नई सरकार के 15 दिसंबर तक शपथ ग्रहण करने की उम्मीद है।
दिल्ली चुनाव कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में नई विधानसभा का गठन 17 दिसंबर से पहले होना है। दिल्ली में विधायकों के चुनाव की आधिकारिक घोषणा चुनाव कार्यालय गुरुवार को करेगा। इसके बाद ही कांग्रेस विधायक दल की नेता श्रीमती दीक्षित दिल्ली के उपराज्यपाल तेजेन्द्र खन्ना के समक्ष नई सरकार के गठन का दावा पेश करेंगी।
सूत्रों ने बताया कि शीला दीक्षित की अगुवाई में बनने वाली दिल्ली की नई सरकार में पुराने मंत्रिमंडल के कम से कम दो मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी में जुटने जा रही नई सरकार में नौजवानों का दबदबा हो तो, ताज्जुब नहीं होना चाहिए। हालांकि मंत्रियों के नामों पर दस जनपथ की मुहर लगना लाजिमी है। श्रीमती दीक्षित कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती गाँधी के संकेतों के अनुरूप ही अपने नए मंत्रिमंडल का गठन करेंगी। यह और बात है कि उनकी पसंद और नापसंद के बहुत मायने होंगे।
यदि पुराने मंत्रिमंडल पर नजर डालें, तो वित्त मंत्री अशोक कुमार वालिया पंजाबी कोटे से तो, अरविंदर सिंह लवली सिख कोटे से मंत्री बनाए गए। इसी प्रकार मंगतराम सिंघल वैश्य कोटे से, तो हारुन युसूफ मुस्लिम कोटे से और राजकुमार चौहान पिछड़े कोटे से मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। इस बार के चुनाव में भी ये सारे मंत्री जीते हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि इनमें से सभी को लाल बत्ती मिल जाए। सियासी हलकों में चर्चा है कि इनमें से दो मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है।
शहर के सभी वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश इस बार भी जरूर होगी। यह लाजिमी भी है। लेकिन एक नया मामला पुरबिया कोटे का भी सामने आ रहा है। पार्टी में पूरब का चेहरा कहे जाने वाले महाबल मिश्रा को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा जोरों पर है। हालांकि फिलहाल कुछ भी तय नहीं है। किसे लाल बत्ती मिलेगी, किसे नहीं इसका फैसला अगले दो-तीन दिनों में होगा।