नई दिल्ली। नई दिल्ली इलाके में बनी अपनी झुग्गी में लगे नए हैंडपंप के बारे में बताते हुए 68 वर्षीया बालादेवी कहती हैं कि काश इसे चुनावी प्रलोभन के लिए हाल ही में लगाए जाने की बजाय पहले लगाया जाता।
नई दिल्ली में छोटी-छोटी मलिन बस्तियों में रहने वाली बालादेवी और उनके ही जैसे अन्य लोग जब आगामी विधानसभा चुनावों के बारे में चर्चा करते हैं तो उनके सामने जो एकमात्र मुद्दा उभरता है, वे हैं- उनकी आधारभूत सुविधाएं।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह चुनावी क्षेत्र मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, भाजपा के विजेंद्र गुप्ता और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के बीच कडे मुकाबले के लिए तैयार है। हालांकि इस चुनावी क्षेत्र के बहुत से इलाके अच्छी तरह विकसित हैं लेकिन ऐसे इलाके भी हैं, जहां पर आधारभूत अवसंरचना बेहद खराब हालत में है।
75 वर्षीय दीक्षित पिछले 15 साल से इस चुनावी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और उनके विकास मॉडल को इस इलाके में कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। इस इलाके में कुल 1.18 लाख मतदाता हैं जिसमें 60 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार वाले हैं।
अनधिकृत इलाकों में रहने वाले विभिन्न लोगों ने कहा कि हालांकि कांग्रेस सरकार ने पिछले विधानसभा चुनावों से पहले कॉलोनियों के नियमन और अवसंरचना में सुधार का वादा किया था लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है।
रेसकोर्स मार्ग के पीछे एक झुग्गी बस्ती में रहने वाले बहादुर लाल ने कहा कि हम इस जगह को छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहते। नेता हमें कहीं और बसाने की बात करते हैं। हमें डर है कि हमें इस जगह को छोड़ने के लिए कहा जा सकता है।
रेसकोर्स मार्ग से कुछ ही दूरी पर ऐसी कम से कम चार झुग्गी बस्तियां हैं और वहां के निवासियों ने कहा कि उनके पास पेयजल सुविधा, सीवर लाइनों जैसी मूल अवसंरचना की भी कमी है और ये उनके लिए बड़े मुद्दे हैं।
हाल ही में आई रायशुमारी में ऐसा कहा गया था कि केजरीवाल इस चुनावी क्षेत्र में दीक्षित को कमजोर कर सकते हैं लेकिन दीक्षित ने इस सर्वेक्षण की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए इसके नतीजों को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि मैं इन चुनावों में अपनी और कांग्रेस की जीत को लेकर आश्वस्त हूं। हम अगली सरकार बनाने जा रहे हैं। रायशुमारी का कोई आधार नहीं होता।
इस चुनावी क्षेत्र में पहले ही कई स्टार प्रचारकों को तैनात कर चुकी भाजपा ने कहा कि उसे सफलता की पूरी उम्मीद है। घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने वाले केजरीवाल ने कहा कि चुनावी क्षेत्र के लोग दीक्षित को हराएंगे।
वर्ष 2008 के चुनावों में दीक्षित को 39,778 वोट मिले थे जबकि उनके भाजपाई प्रतिद्वंद्वी विजय जौली को 25,796 वोट मिले थे।
वर्ष 2003 के चुनावों में दीक्षित ने भाजपा की उम्मीदवार और क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद को 11,000 वोटों से हराया था। अर्जुन कैंप और बीके दत्त कॉलोनी के निवासी खराब सड़कों, पेय जल और कचरा निस्तारण व्यवस्था की कमी की शिकायत करते हैं।
केजरीवाल जहां अपने अभियानों में लोगों से निजी तौर पर अपील कर रहे हैं, वहीं भाजपा मतदाताओं को लुभाने के लिए रैलियों की एक श्रृंखला और सड़क किनारे बैठकों का आयोजन कर रही है।
इस क्षेत्र में कांग्रेस का चुनाव प्रचार अभी तक शांत ही रहा है। पार्टी के कुछ समर्थकों ने कहा कि सब्जियों और जरूरी चीजों के बढ़ते दामों और पानी की कमी के चलते इसके लिए दोबारा वोट देने से पहले वे दो बार सोचेंगे।
अर्जुन कैंप के एक निवासी अनुज यादव ने कहा कि हमारे इलाके में जल आपूर्ति एक बड़ी समस्या है। हमने कई बार दीक्षित को इस बारे में बताया है लेकिन कुछ भी नहीं हुआ है।
जोधपुर हाउस में माली का काम करने वाले झुग्गीवासी सुभाष यादव ने कहा कि सब्जियों के दामों में अचानक वृद्धि से उन्हें अपने परिवार को खिलाने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। दूसरों लोगों ने भी आसमान छूती महंगाई की शिकायत की।
सरोजनी नगर के निवासियों का कहना है कि 'आप' का घर-घर जाने का प्रयास उसके लिए फलदायक हो सकता है। हालांकि कई निवासियों का कहना है कि महंगाई तो पूरे देश में है और वे कांग्रेस को वोट देते रहेंगे।
आप की नजर झुग्गीवासियों और कम आय वालों पर है, जो कांग्रेस के परंपरागत मतदाता हैं। उसने उनसे अनधिकृत कॉलोनियां नियमित करने और मुफ्त पानी देने एवं सब्सिडीप्राप्त बिजली उपलब्ध कराने का वादा किया है।
बीआर कैंप निवासी फतेह बहादुर कहते हैं कि हम वर्तमान सरकार में गहरे दबाव में हैं। डीजल से लेकर प्याज तक हर चीज महंगी होने से हम पर सीधा असर पड़ता है। महंगाई न केवल गरीबों बल्कि मध्यवर्गीय परिवारों के लिए मुद्दा है।
कनॉट प्लेस में अपनी दुकान चलाने वाले और गोल मार्केट में रहने वाले पवन वैद्य ने कहा कि महंगाई हर वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है। (भाषा)