सोमवार रात में परवीन, उनके पति, दो बच्चे और उनकी सास घर में सो रहे थे तभी भीड़ उनके घर घुस आई। उस भयानक रात का मंजर बताते हुए परवीन की सास नशीमा ने बताया, 'उन्होंने धार्मिक गालियां दी, मेरे बेटे को मारा, कुछ ने बहू को भी पेट पर मारा... जब मैं उसे बचाने गई तो वे लोग मुझ पर भी लपके...हमने सोच लिया था कि हम अब नहीं बचेंगे लेकिन अल्लाह की मेहरबानी थी कि हम दंगाइयों के हाथ से बच गए।'
छह साल का अली अपने एक दिन के भाई का हाथ पकड़े हुए उसके माथे को सहला रहा है। अली कहता है, 'मैं इसका हमेशा ख्याल रखूंगा, किसी भी मुसीबत से हमेशा उसकी हिफाजत करूंगा।'