मनुष्य को प्रकृति की ओर से संतुलित और सुडौल शरीर मिलता है, पर वह गलत रहन-सहन, बुरी आदत तथा खान-पान में अनियमितता के कारण इस शरीर को बेडौल बना लेता है। वैज्ञानिक रूप से मोटापा हम उसे कहते हैं जिसमें शरीर का वजन ऊंचाई के मान से अधिक होता है।
आधुनिक समय में यह एक बीमारी के रूप में तेजी से फैल रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम शारीरिक श्रम उतना नहीं करते, जितना कि हमारे द्वारा खाए गए खाने के बाद किया जाना चाहिए। जो ऊर्जा शरीर में ज्यादा उत्पन्ना होकर अतिरिक्त रह जाती है, वह शरीर के उन्हीं भागों में चर्बी के रूप में एकत्र हो जाती है, जिनका उपयोग हम अधिक नहीं करते हैं।
कूल्हे व पीठ का भाग बढ़ जाता है, पेट के लटकने से मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं, हाथों व जांघों का थुलथुला हो जाना- ये सभी लक्षण मोटापे के रूप में दिखते हैं। मोटे व्यक्ति अधिकांशतः कब्ज के कारण पीड़ित रहते हैं और उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, जोड़ों का दर्द, गठिया, घुटनों में दर्द की संभावना भी अधिक होती है।