धनत्रयोदशी से दीपावली पर्व का प्रारंभ हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के उपरांत धनत्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लिए प्रकट हुए थे। धन्वंतरि भगवान विष्णु के अंशांश अवतार माने जाते हैं। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक कहे जाते हैं। इस वर्ष धनत्रयोदशी गुरुवार, 12 नवंबर और मत मतांतर से 13 नवंबर 2020 को मनाई जाएगी।
पद्धति से पूजा करें।
सर्वप्रथम एक चौकी पर भगवान धन्वंतरि का चित्र, जिसमें वे अमृत-कलश लिए हों, स्थापित करें। तत्पश्चात उस चित्र की धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य व आरती से पूजा करें। इस प्रकार धनत्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
सायंकाल (प्रदोषकाल)-
धनत्रयोदशी के दिन सायंकाल यमराज के निमित्त दीपदान करें, इसे 'यम-दीपदान' कहा जाता है। घर के मुख्य द्वार के बाहर गोबर का लेपन करें, तत्पश्चात मिट्टी के 2 दीयों में तेल डालकर दीप प्रज्वलित करें। दीये प्रज्वलित करते समय 'दीपज्योति नमोस्तुते' मंत्र का जाप करते रहें एवं अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें। धनत्रयोदशी के दिन 'यम-दीपदान' करने से घर-परिवार में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु नहीं होती है।