हर त्योहार की तरह धनतेरस मनाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। हिंदू धर्मग्रन्थों के मुताबिक, जब क्षीरसागर का मंथन हो रहा था तो धनवंतरि अमृत का घड़ा लेकर प्रकट हुए थे। इसीलिए धनतेरस को सुख और समृद्धि के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरि प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता है।
धनतेरस के दिन सोना, चांदी या नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। लेकिन इस दिन लोहे के बर्तन व इससे बनीं चीजें खरीदने से बचना चाहिए। धनतेरस पर अधिकतर लोग स्टील के बर्तन खरीदते हैं लेकिन स्टील भी लोहे का ही एक रूप है इसलिए धनतेरस के दिन स्टील के बर्तन नहीं खरीदने की सलाह दी जाती है। स्टील व लोहे के अलावा कांच के बर्तन भी खरीदने से बचना चाहिए। धनतेरस के दिन समृद्धि के प्रतीक के तौर पर ये चीजें खरीदना शुभ माना जाता है- सोना, चांदी, धातु की बनीं लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, नए बर्तन।
पीतल के बर्तन खरीदना होता है शुभ-
भगवान धनवंतरि को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है क्योंकि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है। इसीलिए धनतेरस के दिन पीतल की खरीदारी को ज्यादा फलदायी माना गया है।
खाली बर्तन घर लाना अशुभ माना जाता है इसलिए ऐसा करने से बचें। बर्तन घर लाकर उसमें शकर भर सकते हैं ताकि समृद्धि बनी रहे। बर्तन में श्वेत चावल भर सकते हैं इससे सौभाग्य चमक सकता है। उसमें दूध भी रख सकते हैं। गुड़ और गेंहू रखने का भी रिवाज है। आप उसमें सिक्के भी डाल सकते हैं। बर्तन में शहद भी भरा जाता है।