Diwali kab hai 2024: हिंदू धर्म में कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार दीपावली का यह पर्व 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार के दिन रहेगा। 29 अक्टूबर के दिन धनतेरस, 31 अक्टूबर के दिन नरक चतुर्दशी और 31 को महालक्ष्मी पूजन के साथ बंगाल में काली पूजा होगी। उदयातिथि के अनुसार अधिकांश ज्योतिष 1 नवंबर 2024 शुक्रवार को दिवाली मनाने की सलाह दे रहे हैं। निर्णय मत से भी 1 नवंबर को दिवाली रहेगी। यहां जानिए दोनों ही दिनों के मुहूर्त। ALSO READ: दिपावली 2024: जानें कब है दिवाली, 1 नवम्बर या 31 अक्टूबर को? लाला रामस्वरूप के पंडित जी ने बताई तिथि, मुहूर्त और ज्योतिषीय जानकारी
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे से।
अमावस्या तिथि समाप्त- 01 नवम्बर 2024 को शाम 06:16 बजे तक।
नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद माता लक्ष्मी के मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें।
मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
धूप, दीप जलाएं। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
फिर देवी के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।
पूजा के दौरान ये कार्य करें:
महालक्ष्मी शंख घर में रखकर उसकी नियमित पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती है। महालक्ष्मी शंख के होने से धन और समृद्धि के रास्ते खुल जाते हैं।
कौरी शंख से भी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। कौरी को कई जगह कौड़ी भी कहा जाता है। पीली कौड़िया घर में रखने से धन में वृद्धि होती है।
माता लक्ष्मी को कमल का फूल अति प्रिय है। अत: शुक्रवार के दिन लक्ष्मी मंदिर में जाकर विधिवत पूजा के दौरान उन्हें कमल का फूल अर्पित करें।
पीले रंग के केसर भात भी माता को अर्पित करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। माता लक्ष्मी को पीले और सफेद रंग के मिष्ठान भी अर्पित कर सकते हैं।
नारियल को श्रीफल भी कहते हैं। इसमें सबसे शुद्ध जल भरा रहता है। श्रीफल होने के कारण माता यह बहुत पसंद है। इसके अलावा आप चाहे तो माता को खीर, हलुआ, ईख (गन्ना), सिघाड़ा, मखाना, बताशे, अनार, पान और आम्रबेल का भोग भी अर्पित कर सकते हैं।
माता लक्ष्मी को पारिजात जिसे हरसिंगार भी कहते हैं वह वह वृक्ष और उसके फूल बहुत पसंद है। घर के आसपास यह वृक्ष होने से धन और समृद्धि के रास्ते खुल जाते हैं। पारिजात के फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का नियमित भोग लगाने से वे अति प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा करते हैं। धन व समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा की जाती है। इसकी नियमित पूजा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है। माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है।
वैजयंती के फूल भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय है। वैजयंती फूलों का बहुत ही सौभाग्यशाली वृक्ष होता है। इसकी माला पहनने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस माला को किसी भी सोमवार अथवा शुक्रवार को गंगाजल या शुद्ध ताजे जल से धोकर धारण करना चाहिए।
नियमित शालिग्राम और तुलसी माता की पूजा करने से माता लक्ष्मी अत्यंत ही प्रसन्न हो जाती है। तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना और भगवान विष्णु की पूजा करने से लक्ष्मी सदा के लिए प्रसन्न हो जाती है।
घर की देहली की पूजा करने, मांडना या रांगोली बनाने से भी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
घर को साफ सुधरा रखने से धन और समृद्धि के रास्ते खुल जाते हैं। पीले वस्त्र पहनने और गुरुवार या शुक्रवार का व्रत करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती। माता लक्ष्मी के पूजा में पीली वस्तुएं अर्पित करना चाहिए।
घर की महिलाओं का सम्मान करने और उनकी इच्छापूर्ति करने से लक्ष्मी सदा के लिए प्रसन्न हो जाती है।