Diwali October 2025: 20 अक्टूबर को ही क्यों मनाएं दीपावली?

पं. हेमन्त रिछारिया

बुधवार, 15 अक्टूबर 2025 (17:03 IST)
Diwali auspicious time 2025: हिन्दू धर्म में दीपावली प्रमुख व महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। शास्त्र का वचन है कि 'बभुक्षितं किं ना करोतु पापं' अर्थात भूखा व्यक्ति कौन सा पाप नहीं करता, इस उक्ति से आशय है कि संसार में दरिद्रता सबसे बड़ा अभिशाप है। दीपावली का पर्व लक्ष्मी पूजा से सम्बन्धित होता है।ALSO READ: Diwali 2025: दिवाली में दीये जलाने से पहले उनके नीचे रखें ये 3 चीजें, घर में आकर्षित होगी सुख-समृद्धि
 
जीवन के चार पुरूषार्थों में 'अर्थ' (धन) की अपनी महत्ता होती है। सांसारिक व्यक्तियों के लिए धन के बिना जीवन निर्वाह करना अत्यन्त दुरूह होता है। दीपावली के दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी पूजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का पूजन-आराधन करने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा साधक पर बनी रहती है। 
 
शास्त्रानुसार दीपावली कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जानी चाहिए। दीपावली के दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए किन्तु इस वर्ष पंचांग अनुसार दो दिन अमावस्या होने से श्रद्धालुओं में दीपावली पर्व की तिथि को लेकर संशय बना हुआ है।ALSO READ: Diwali Tips 2025: घर में स्थिर लक्ष्मी चाहते हो तो दिवाली पूजन के समय करें ये 7 काम, सालभर बनी रहेगी धन की बरकत
 
हम 'वेबदुनिया' के पाठकों के लिए शास्त्रोक्त निर्देशानुसार दीपावली तिथि का निर्णय कर उनके इस संशय को दूर कर दीपावली की सही तिथि के बारे में उनका मार्गदर्शन करेंगे।

दीपावली तिथि निर्णय-
जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका है कि दीपावली का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाना चाहिए। दिनांक 20 अक्टूबर 2025 को अमावस्या तिथि का प्रारम्भ दोपहर 03 बजकर 46 मि. से होगा एवं अमावस्या की समाप्ति दिनांक 21 अक्टूबर को सायंकाल 05 बजकर 56 मि. पर होगी। 
 
दिनांक 20 अक्टूबर 2025 को सूर्यास्त 05 बजकर 50 मिनट पर होगा। अत: दिनांक 20 अक्टूबर को प्रदोषकाल में अमावस्या तिथि रहेगी जबकि दिनांक 21 अक्टूबर को सूर्यास्त 05 बजकर 49 मि. होगा एवं अमावस्या तिथि की समाप्ति 05 बजकर 56 मि. होगी। दिनांक 21 अक्टूबर को प्रदोषकाल में अमावस्या तिथि नहीं रहेगी। 
 
शास्त्रानुसार यदि सूर्यास्त के पश्चात अमावस्या एक घड़ी अर्थात 24 मि. पर्यंत नहीं रहती है तब वह ग्राह्य नहीं होती है। अत: जिन नगरों सूर्यास्त से एक घड़ी पर्यंत अमावस्या तिथि नहीं होगी वहां उस दिन अमावस्या ग्राह्य नहीं होगी।

भारतवर्ष के अधिकांश नगरों विशेषकर उत्तर भारत के क्षेत्रों में दिनांक 20 अक्टूबर 2025 को प्रदोषकाल एवं सम्पूर्ण रात्रि अमावस्या तिथि रहने से दीपावली का पर्व दिनांक 20 अक्टूबर 2025 दिन सोमवार को मनाया जाना श्रेयस्कर व शास्त्रसम्मत रहेगा।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: [email protected]

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