दीपावली की पूजन अत्यंत मंगलदायक योग में करनी चाहिए आइए जानें शाम के शुभ मुहूर्त...
दीपावली पर सूर्यास्त 5.40.05 पर प्रदोषकाल का प्रारंभ होगा जो 8.13.05 पर समाप्त होगा। इस समयावधि में वृषभ लग्न 6.15 पर प्रारंभ होगा जिसमें वृषभ लग्न वृषभ नवांश 7.05 से 7.15 तक रहेगा। यह मुहूर्त लाभ में है। इस समय प्रदोष व्यापनी अमावस्या मिलने व लाभ का चौघड़िया व स्थिर लग्न मिलने से महालक्ष्मी पूजन अतिश्रेष्ठ है।
उपरोक्त समय में स्थिर लग्न व नवांश का संयोग होने से पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।
राशिनुसार कैसे करें पूजन
मेष-वृश्चिक राशि वालों के लिए लाल चंदन या मूंगे की 108 दानों की माला से लाल ऊन का आसन बिछाकर लक्ष्मीजी का मंत्र जपें।
वृषभ-तुला राशि वाले स्फटिक की माला लें व सफेद ऊन का आसन बिछाकर जाप करें।
मिथुन-कन्या राशि वाले हरे मनकों की माला व हरे ऊन का आसन बिछाकर जप करें।
कर्क राशि वाले मोती की माला व सफेद ऊन का आसन बिछाकर जपें।
सिंह राशि वाले गुलाबी मनकों की माला व गुलाबी ऊन के आसन पर जाप करें।
मकर और कुंभराशि : नीले रंग के मनकों की माला से लक्ष्मी मंत्र का जाप करे व नीले पुष्प अर्पित करें। नीले रंग के ऊन से बने आसन पर विराजमान होकर पूजन करने से लाभ होगा।
धनु व मीन राशि वाले चंदन की माला व पीले ऊन के आसन को बिछाकर मंत्रों का जाप करें।
महानिशिथकाल में लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ है
महानिशिथकाल में लक्ष्मीजी के तांत्रिक प्रयोग किए जाते हैं, इस समयावधि में लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है। हम यहां पर कुछ चुने हुए मंत्र दे रहे हैं जिन्हें विधिपूर्वक जपने से लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है।
महानिशिथकाल का समय 22.46 से लेकर मध्यरात्रि में 1.19 तक है। इस समयावधि में अमृत व चंचल का चौघड़िया है।