दीपावली के पांच दिन उत्सव में पहले दिन धनतेरस और दूरे दिन नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाते हैं। इस दिन को रूप चौदस और काली चौदस भी कहते हैं। इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। आओ जानते हैं कि इस दिन किन 6 देवों की पूजा करने से मिलती है उनकी अपार कृपा और मिट जाते हैं सारे संकट, क्योंकि वर्ष में एक बार आने वाला यह बहुत ही शुभ अवसर होता है।
1. यम पूजा : इस दिन जल्दी उठकर अच्छे से स्नान किया जाता है और रात्रि में इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल व पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर की नाली की ओर जलाकर रखा जाता है। यह दीपक यम दीपक कहलाता है। इसी दिन यम की पूजा करने के बाद शाम को दहलीज पर उनके निमित्त दीप जलाएं जाते हैं जिससे अकाल मृत्यु नहीं होती है।
2. काली पूजा : ऐसी धार्मिक धारणा है कि सुबह जल्दी तेल से स्नान कर देवी काली की पूजा करते हैं और उन्हें कुमकुम लगाते हैं। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में इस अवसर पर मां काली की पूजा होती है। यह पूजा अर्धरात्रि में की जाती है। पश्चिम बंगाल में लक्ष्मी पूजा दशहरे के 6 दिन बाद की जाती है जबकि दिवाली के दिन काली पूजा की जाती है।
राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई जबकि दिवाली की रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का विधान भी कुछ राज्यों में है। दुष्टों और पापियों का संहार करने के लिए माता दुर्गा ने ही मां काली के रूप में अवतार लिया था। माना जाता है कि मां काली के पूजन से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है। शत्रुओं का नाश हो जाता है। कहा जाता है कि मां काली का पूजन करने से जन्मकुंडली में बैठे राहू और केतु भी शांत हो जाते हैं। अधिकतर जगह पर तंत्र साधना के लिए मां काली की उपासना की जाती है।
3. श्रीकृष्ण पूजा : भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 महिलाओं को मुक्त कराया था। इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा का भी महत्व है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है।
6. वामन पूजा : इस दिन दक्षिण भारत में वामन पूजा का भी प्रचलन है। कहते हैं कि इस दिन राजा बलि (महाबली) को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था। इसी कारण से वामन पूजा की जाती है।