Diwali Story
सृष्टि के आरंभ से इस संसार में रचयिता, शासनकर्ता एवं संहारक की व्यवस्था चली आ रही है। इस जगत के रचयिता ब्रह्मा हैं, भगवान विष्णु इस समस्त जगत पर शासन करते हुए सम्पूर्ण विश्व का संरक्षण करते हैं, वहीं भगवान शिव संहारक हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस भूलोक पर ऐसा भी एक समय आता है जब इस समस्त धरा-भूमि पर भगवान विष्णु का शासन नहीं रह जाता! तो फ़िर कौन करता है इस समस्त जगत पर शासन?
आइए जानते हैं यह विस्मयकारी कथा-Diwali Story
- शास्त्रानुसार कथा है कि जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान का वचन लेकर अपने दो पग से समस्त लोकों को नाप कर अपने अधीन कर लिया और तीसरे पग के लिए जब राजा बलि ने अपना मस्तक आगे किया तो उनकी इस विनम्रता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा बलि से एक वर मांगने को कहा। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से वर मांगते हुए कहा कि वे तीन दिवस पर्यंत इस सम्पूर्ण भूलोक के राजा बनकर इस पर शासन करना चाहते हैं और जो व्यक्ति उनके राज में दीपमाला प्रज्ज्वलित करें उसके यहां 'श्री' अर्थात् लक्ष्मी का स्थाई निवास हो।
भगवान विष्णु ने उनके इस वरदान को 'तथास्तु' कहकर पूर्ण कर दिया। कथानुसार वे तीन दिन धनत्रयोदशी से लेकर दीपावली के होते हैं। इस प्रकार धनत्रयोदशी से दीपावली (Diwali Story) तक इस सम्पूर्ण पृथ्वी पर भगवान विष्णु का नहीं अपितु राजा बलि का शासन रहता है। वरदान के अनुसार जो व्यक्ति राजा बलि के राज में दीपमाला प्रज्ज्वलन करता है उसके यहां स्थाई लक्ष्मी का वास होता है।